वाशिंगटन। अमेरिका के हाउस ऑफ रिप्रजेंटेटिव्स (अमेरिकी संसद का निचला सदन) ने आईटी क्षेत्र की भारतीय कंपनियों को तगड़ा झटका दिया है। यहां एच-1बी वीजा धारकों के संबंध में नया बिल पेश किया गया है। जिसके तहत एच-1बी वीजा धारकों की न्यूनतम सैलरी दुगुनी होकर 1.30 लाख डॉलर करने का प्रस्ताव है।
इस बिल के पास होने के बाद अमेरिकी कंपनियों के लिए विदेशी लोगों को नौकरी देने के लिए एच-1बी वीजा का इस्तेमाल करना मुश्किल हो जाएगा। इस बिल के अंतर्गत, जो कंपनी सबसे ज्यादा सैलेरी देगी उसे प्राथमिकता मिलेगी। इससे अमेरिकी नियोक्ताओं को जरूरी प्रतिभा मिल सकेगी और नौकरियों को आउटसॉर्स करने से निजात मिलेगी। इस नए बिल के पेश करने की खबर आते ही भारतीय शेयर मार्केट औंधे मुंह गिर पड़ा।
माना जा रहा है कि यह नया कार्यकारी आदेश अमेरिका में आव्रजन सुधार का एक हिस्सा है। ट्रंप प्रशासन द्वारा तैयार किया गया यह कार्यकारी आदेश न केवल एच1बी और एल1 वीजा नियमों को कड़ा करेगा बल्कि इससे इंस्पेक्टर राज को भी बढ़ावा मिलेगा। इसके साथ ही यहां कामकाजी वीजा (वर्क वीजा) पर काम करे रहे पेशेवरों के दम्पति को मिलने वाले रोजगार को अधिकृत करने वाले कार्ड को भी ख़त्म करता है।
व्हाइट हाउस के एक शीर्ष अधिकारी का तो यहां तक कहना है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप कामकाजी वीजा कार्यक्रमों संबंधी नियमों को कड़े करने वाले एक नए शासकीय आदेश पर हस्ताक्षर कर सकते हैं। इन वीजा कार्यक्रमों में एच1बी और एल1 वीजा शामिल हैं, जिनका उपयोग भारतीय आईटी पेशेवर करते हैं।
व्हाइट हाउस के प्रेस सचिव सीन स्पाइसर ने पत्रकारों से बातचीत में कहा, ‘‘मैं मानता हूं कि एच1बी और अन्य वीजा बड़े आव्रजन सुधार के प्रयासों का हिस्सा हैं और राष्ट्रपति ट्रंप इसके बारे में कार्यकारी आदेश और कांग्रेस के माध्यम से बात करते रहेंगे।’’ लीक आदेश के मुताबिक, ट्रंप ओबामा के वैकल्पिक व्यवहारिक प्रशिक्षण कामकाजी वीजा की अवधि में विस्तार के आदेश को खारिज कर देंगे। इस वीजा के तहत विदेशी छात्रों को अमेरिका में पढ़ाई खत्म करने के बाद कुछ ज्यादा वक्त बितानें का मौका रहता है ।