
लाल कृष्ण आडवाणी इन दिनों बेहद नाराज हैं। वजह सिर्फ संसद का ‘झगड़ा’ नहीं, राष्ट्रपति पद भी है।
राष्ट्रपति पद के लिए भारतीय जनता पार्टी से ही कई उम्मीदवार निकल कर आगे आ रहे हैं।
लग रहा है जैसे लाल कृष्ण फिर प्रेसिडेंट इन वेटिंग बन कर रह जाएंगे।
लेकिन खबरें हैं कि आडवाणी ने इसका तोड़ निकाल लिया है।
पायनियर के मुताबिक दो हफ्ते पहले आडवाणी ने बीजेपी के 5 मंत्रियों को लंच पर बुलाया। मन से खिलाया।
फिर अचानक आडवाणी नाराज हो गए।
पांचों मंत्रियों से दो टूक कहा, ‘रायसीना में मोदी से कह देना कि राष्ट्रपति पद के लिए मुझ से बेहतर कोई नहीं।’
राष्ट्रपति पद की जंग
सकपकाए पांचों मंत्रियों ने हामी भर दी। लेकिन आडवाणी के आवास से निकले तो सब भूल गए। मानो कुछ हुआ ही नहीं।
खबरों के मुताबिक, आडवाणी का यह गुस्सा संसद सत्र में निकला, लेकिन अलग अंदाज में।
उन्हें मंत्री अनंत कुमार से ‘झगड़े’ पर नाराजगी जताई। लेकिन क्या यही सच था।
सूत्र बताते हैं कि हाल में शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से मिलने पहुंचे थे।
इस दौरान ठाकरे ने आडवाणी से मुलाकात की।
मुधर बातचीत के बाद आडवाणी आश्वस्त हुए कि कम से कम ठाकरे तो राष्ट्रपति के तौर पर उन्हें देखना चाहते हैं।
यह भाजपा के लिए एक मुश्किल भी हो सकती है।
फिर आडवाणी ने आंध्रप्रदेश के सीएम चंद्रबाबू नायडू से मुलाकात की।
आंध्र को विशेष दर्जा दिलाने के लिए होने वाली जनसभा को उन्होंने समर्थन देने का वादा किया।
वजह सिर्फ ये कि नायडू भी राष्ट्रपति के तौर पर आडवाणी को देखें।
तीसरे नंबर पर आडवाणी ने हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला को चुना।
भ्रष्टाचार के एक मामले में चौटाला जेल की हवा खा रहे हैं।
हालांकि उन्होंने भी समर्थन देने का भरोसा तो दिया ही है।
दरअसल, 2014 के लोकसभा चुनाव में जीत के बाद बीजेपी ने नरेंद्र मोद की सत्ता स्वीकार की, लेकिन आडवाणी ‘अटल’ ही रहे।
विभिन्न मुद्दों पर मोदी से उनकी नाराजगी जगजाहिर होती आई है।
एक तमन्ना पीएम इन वेटिंग से वेटिंग कम करने की भी है।
मोदी ने रिटायरमेंट को देखते हुए आडवाणी को मार्गदर्शक मंडल में बैठा दिया।
सरकार के तीन साल होने को आए, मार्गदर्शक की भूमिका गुम होती ही दिखी।
द हिन्दू के मुताबिक सारे फैसले सिर्फ पीएम नरेंद्र मोदी और अमित शाह की राय से होते हैं।
ये भी देंगे टक्कर
मार्गदर्शक मंडल भी आडवाणी के लिए मुश्किल खड़ी कर सकता है।
राष्ट्रपति के उम्मीदवारों में एक डॉक्टर मुरली मनोहर जोशी मंडल के सदस्य हैं। उन्हें आरएसएस का भी भरपूर समर्थन है।