93 साल पुरानी बैंकों का होने जा रहा विलय, ग्राहकों पर पड़ेगा सीधा असर

बीते 1 अप्रैल से बैंक ऑफ बड़ौदा में देना बैंक और विजया बैंक का विलय अस्तित्व में आ चुका है| इसके बाद बैंक ऑफ बड़ौदा देश का तीसरा बड़ा बैंक बन चुका है| अब एक और बड़े बैंक लक्ष्मी विलास बैंक ने विलय की घोषणा की है|

यह विलय इंडियाबुल्स हाउसिंग फाइनेंस (आईबीएच) के साथ का प्रस्ताैव है| हालांकि इस विलय विलय के लिए भारतीय रिजर्व बैंक समेत अन्य नियामकों से मंजूरी लेनी होगी| इस विलय के अस्तित्वक में आने के बाद इसका असर ग्राहकों पर भी पड़ेगा|

दरअसल, करीब 93 साल पुराने लक्ष्मी विलास बैंक ने इंडियाबुल्स हाउसिंग फाइनेंस (आईबीएच) के साथ विलय की घोषणा की है| इस विलय का मकसद अधिक पूंजी और व्यापक भौगोलिक पहुंच वाला वेंचर बनाना है| इस विलय के बाद जो वेंचर अस्तित्वभ में आएगा उसके कर्मचारियों की संख्या 14,302 हो जाएगी|

वर्तमान में लक्ष्मी विलास बैंक के देशभर में 569 शाखाएं, 1046 एटीएम हैं| वहीं अगर इंडियाबुल्स हाउसिंग फाइनेंस की बात करें तो देशभर में 220 शाखाएं हैं| विलय प्रस्ता1व के तहत लक्ष्मी विलास बैंक के शेयरधारकों को प्रति 100 शेयर के बदले इंडियाबुल्स के 14 शेयर मिलेंगे|

प्रस्तावित विलय के बाद बनने वाली कंपनी के पास अधिक और मजबूत खुदरा एसेट, ग्रोथ के लिए अधिक पूंजी , नए कारोबारों में कदम रखने के लिए बड़े पैमाने पर अवसर होंगे|

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इसके अलावा लक्ष्मी विलास बैंक (एलवीबी) की मार्च 2018 अंत में कुल एसेट 40,429 करोड़ रुपये थी और उसके पास 2,328 करोड़ रुपये की सेविंग फंड है| दिसंबर 2018 के अंत में इंडियाबुल्स हाउसिंग फाइनेंस की कुल एसेट 1,31,903 करोड़ रुपये की थी और उसकी एकीकृत शुद्ध संपत्ति 17,792 करोड़ रुपये थी| लक्ष्मी विकास बैक ने पिछले महीने क्वालिफाइड इंस्टीट्यूशनल प्लेसमेंट (क्यूआईपी) के जरिए 460 करोड़ रुपये जुटाए| यह बैंक लंबे समय से आर्थिक तंगी से जूझ रहा है|

ग्राहकों पर भी असर –
इस विलय के बाद नए ग्राहकों के लिए ब्याज दर अलग हो सकती है| इसके अलावा ग्राहकों की चेकबुक, एटीएम आदि पर बैंक का नाम बदल सकता है| वहीं विलय की प्रकिया से ग्राहकों को केवाईसी प्रकिया दोबारा करानी पड़ सकती है| विलय से ब्रांचों और एटीएम की संख्या बढ़ जाएगी| इससे ग्राहकों को दूर नहीं जाना पड़ेगा|

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