#शौर्यगाथा6 : पंडित राम प्रसाद बिस्मिल के बारे में…

शौर्यगाथालखनऊ | शौर्यगाथा की इस कड़ी में हम आप को आज काकोरी कांड के महानायक स्वतंत्रता संग्राम सेनानी पंडित राम प्रसाद बिस्मिल की बारे में बताएंगे। 11 जून 1897 को उत्तरप्रदेश के शाहजहांपुर में रहने वाले पंडित मुरलीधर दूबे के घर जन्मे रामप्रसाद बिस्मिल क्रांतिकारी होने के साथ साथ एक बेहतरीन कवि, शायर, अनुवादक, इतिहासकार तथा साहित्यकार भी थे। उनका लिखा गीत सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है.. देश का आजादी का माध्यम बना।

पंडित राम प्रसाद बिस्मिल की तरह ही क्रांतिकारी अशफाक उल्ला खां भी अच्छे कवि थे। कहा जाता है कि एक बार अशफाक आर्य समाज मंदिर, शाहजहांपुर में बिस्मिल के पास किसी काम से गए थे। अशफाक उस वक्त शायराना मूड में थे। वे अचानक जिगर मुरादाबादी की चंद लाइनें गुनगुनाने लगे। लाइनें थीं-
‘कौन जाने ये तमन्ना इश्क की मंजिल में है।
जो तमन्ना दिल से निकली, फिर जो देखा दिल में है।।’ 

 इसके जवाब में बिस्मिल जी ने जो कहा वो इतिहास बन गया। उन्होंने ये लाइन कही थी

‘सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है।
देखना है जोर कितना बाजू-ए-कातिल में है?’

शौर्यगाथा 6 : रामप्रसाद बिस्मिल लाला लाजपत राय के संपर्क में आए

आर्यसमाज से प्रेरित रामप्रसाद बिस्मिल का रूझान युवावस्था में ही देश की आजादी की तरफ मुड़ गया। उन्होंने क्रांतिकारी बनने के बाद पहली बार मैनपुरी षड़यन्त्र किया जिसमें उनके साथी पकड़े गए हालांकि वह बच गए। इसके बाद वह गुप्त अवस्था में छिप कर रहने लगे। लेकिन जल्दी ही वह लाला लाजपत राय के संपर्क में आए और फिर से क्रांतिकारी गतिविधियों में संलग्न हो गए।

क्रांतिकारियों को अंग्रेजों से लड़ने के लिए हथियारों की जरूरत थी। उनके पास इतना धन नहीं था कि वे हथियार खरीद सकें। इसलिए बिस्मिल 9 अगस्त 1925 को चंद्रशेखर आजाद सहित अपने नौ साथियों के साथ 8 डाउन सहारनपुर-लखनऊ पैसेंजर पर शाहजहांपुर में सवार हुए। काकोरी में चेन पुलिंग की और क्रांतिकारियों ने खजाने को लूट लिया।

घटनास्थल से मिली एक चादर के आधार पर घटना में शामिल क्रांतिकारियों की शिनाख्त हो गई और गिरफ्तार कर लिए गए। उन पर मुकदमा चलाया गया और लूट कांड का मुख्य आरोपी मान कर उन्हें 19 दिसंबर 1927 को काकोरी कांड के महानायक स्वतंत्रता संग्राम सेनानी पंडित राम प्रसाद बिस्मिल को गोरखपुर जेल की कोठरी में फांसी के फंदे पर लटकाया गया था। फांसी से पहले अंतिम इच्छा पूछने पर उन्होंने कहा था ”I WISH THE DOWNFALL OF BRITISH EMPIRE।” वो फांसीघर आज भी मौजूद है। लकड़ी का फ्रेम और लीवर भी सुरक्षित है।

शौर्यगाथाशौर्यगाथा 6 :राम प्रसाद बिस्मिल बैरक को संरक्षित किया गया

पं. राम प्रसाद बिस्मिल को जिला कारागार लखनऊ से 10 अगस्त 1927 को गोरखपुर जेल लाया गया था। उन्‍हें कोठरी संख्या सात में रखा गया था। उस समय इसे ‘तन्हाई बैरक’ कहा जाता था। बिस्मिल ने चार महीने 10 दिन तक इस कोठरी को साधना केंद्र के रूप में इस्‍तेमाल किया। इस कोठरी को अब बिस्मिल कक्ष और शहीद पंडित राम प्रसाद बिस्मिल बैरक के नाम से संरक्षित किया गया है।

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