570 करोड़ रुपये जब्त होने की सीबीआई जांच हो : द्रमुक

570 करोड़चेन्नई| द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (द्रमुक) ने कोयंबटूर के पास निर्वाचन आयोग की टीम द्वारा जब्त किए गए 570 करोड़ रुपये के मामले की केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) से जांच कराने की मांग की है।

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570 करोड़ की हो निष्पक्ष जांच

तमिलनाडु के मुख्य विपक्षी दल ने सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर आग्रह किया वह रुपये को जब्त करने और बाद में छोड़ दिए जाने के मुद्दे की सीबीआई और ईडी से निष्पक्ष जांच का आदेश दें।

इस पत्र को लिखने वाले द्रमुक प्रवक्ता एवं पूर्व सांसद टी. के. एस. एलंगोवन ने केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह, मुख्य चुनाव आयुक्त नसीम जैदी, भारतीय रिजर्व बैंक (आइबीआई) के गवर्नर रघुराम राजन, सीबीआई के निदेशक एवं अन्य लोगों के पास भी इस सिलसिले में एक अभ्यावेदन भेजा है।

निर्वाचन आयोग के निगरानी दस्ते ने तमिलनाडु में तिरुपुर में तीन ट्रक जब्त किए थे। इन ट्रकों में 570 करोड़ रुपये थे।

जब्त किए गए ट्रक तिरुपुर के जिलाधिकारी कार्यालय के बाहर 14 मई से 17 मई तक खड़े रहे थे।

एलंगोवन ने कहा कि निगरानी दल ने पाया था कि जो दस्तावेज ट्रक के साथ मौजूद लोगों ने दिए थे, उन पर इन ट्रकों का नंबर नहीं लिखा था। इन वाहनों के साथ जो सुरक्षा अधिकारी थे, वे आंध्र प्रदेश के थे और उन्होंने वर्दी नहीं पहनी हुई थी।

उन्होंने कहा कि माना जाता है कि नकदी जब्त किए जाने के 18 घंटे बाद भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के नाम से कुछ पत्र तैयार किए गए और आयकर विभाग ने मुख्य निर्वाचन अधिकारी से इन तीनों ट्रकों को एसबीआई की कोषागार शाखा कोयंबटूर भेजने का आग्रह किया।

एलंगोवन के अनुसार, एसबीआई के कथित अंतर विभागीय पत्रों में एक में आरबीआई चेन्नई के एक निर्देश का हवाला दिया हुआ है और 570 करोड़ रुपये नकदी का भुगतान करने की मांग की गई है।

अपने पत्र में एलंगोवन ने कहा है कि हालांकि हम लोगों को बताया गया है कि आरबीआई चेन्नई ने ऐसा कोई निर्देश जारी नहीं किया। न ही उसने 570 करोड़ रुपये नकदी के भुगतान की इजाजत दी।

उन्होंने कहा कि आरबीआई के दिशा निर्देशों के मुताबिक जब भी बहुत अधिक मात्रा में नकदी एक बैंक से दूसरे बैंक में राज्य के अंदर या दूसरे राज्य में ले जानी होती है तो उसे केवल रेलवे के जरिए ले जाया जाता है और उसके साथ स्थानीय पुलिस होती है।

उन्होंने कहा, इस मामले में ऐसा कोई कदम नहीं उठाया गया। इसलिए 570 करोड़ रुपये पर भारतीय स्टेट बैंक के अधिकारियों के देर से किए गए दावों की सत्यता पर गंभीर संदेह उभरता है।

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