268 साल पहले भारत में बदली गई थी नए साल की परंपरा, जानिए क्या थी मजबूरी

31 दिसंबर, 2020 की रात को 12 बजते ही नया साल शुरू हो जाएगा। 01 जनवरी, 2021 की सुबह नए साल का पहला दिन होगा। हालांकि, प्रत्येक वर्ष 01 जनवरी आने के साथ ही एक बहस छिड़ जाती है कि आज ही नया साल क्यों है? इसकी शुरुआत कब और कैसे हुई?
भारत ने अंग्रेजी नव वर्ष को क्यों स्वीकारा और क्यों बदला अपनी गौरवशाली परंपरा वाले भारतीय नव वर्ष विक्रमी संवत को, आदि। आइए जानते हैं आखिर क्या है ग्रिगोरियन कैलेंडर, किस देश ने कब माना एक जनवरी को नया साल और क्या थी हमारे देश की मजबूरी..

दुनियाभर में नाना प्रकार के कैलेंडर माने जाते हैं। एक अनुमान के मुताबिक भारत के 36 तरह के प्राचीन कैलेंडर वर्ष माने जाते हैं। हालांकि, इनमें से अधिकांश अब प्रचलन से बाहर हैं। दुनियाभर में कई देशों के जो अपने कैंलेंडर हैं उनमें नए वर्ष की शुरुआत फरवरी से अप्रैल के मध्य होती है। हमारे यहां भी विक्रम संवत, शक संवत, हिजरी सन और सप्तर्षि संवत आदि प्रचलित हैं। इसके अलावा भी कई सारे देशों में अलग-अलग कैलेंडर भी चलन में हैं मगर पूरी दुनिया में नया साल ग्रिगोरियन कैलेंडर के अनुसार ही मनाया जाता है।  

वर्तमान ग्रिगोरियन कैलेंडर Gregorian Calendar की शुरुआत 438 साल पहले 15 अक्तूबर, 1582 को हुई थी। इस कैलेंडर को आखिरी बार पोप ग्रिगरी 13वें ने संशोधित किया था। ग्रिगोरियन कैलेंडर के अनुसार, क्रिसमस हर वर्ष 25 दिसंबर को निश्चित हो गया। जबकि 31 दिसंबर को साल का आखिरी दिन होता है और नया साल एक जनवरी को शुरू होता है। अमेरिका के नेपल्स के फिजीशियन एलॉयसिस लिलिअस ने 15 अक्तूबर, 1582 को ग्रिगोरियन कैलेंडर के तौर पर एक नया कैलेंडर का इस्तेमाल प्रस्तावित किया था। 

इससे पहले रूस का जूलियन कैलेंडर प्रचलन में था, जिसमें साल में 10 महीने होते थे। इसमें समस्या यह थी कि क्रिसमस साल में एक निश्चित दिन नहीं आता था। जूलियन कैलेंडर को ईसा पूर्व 46 में जूलियस सीजर ने संशोधित किया था। इससे भी पहले तक जो कैलेंडर चलता था, वह रोमन कैलेंडर था। उसमें साल के सिर्फ 304 दिन ही होते थे। महीने 10 ही थे। 

कोई भी कैलेंडर सूर्य चक्र या चंद्रमा चक्र की गणना पर आधारित होता है। सूर्य चक्र पर आधारित कैलेंडर में 365 दिन होते हैं। जबकि चंद्रमा चक्र पर आधारित कैलेंडर में 354 दिन होते हैं। ग्रिगोरियन कैलेंडर सूर्य चक्र पर आधारित है। 

इसमें हर महीने में बराबर दिन भी नहीं हैं। चार माह 30 दिन वाले हैं, छह माह 31 दिन वाले हैं। साथ ही फरवरी एक ऐसा महीना है जिसमें 28 दिन होते हैं लेकिन हर तीन साल बाद यानी चौथा वर्ष लीप ईयर होता है तब फरवरी में 28 के स्थान पर 29 दिन होते हैं। 

हमारे देश में आज भी अधिकांश धार्मिक कार्य हिंदू लोग विक्रमी संवत जबकि मुस्लिम लोग हिजरी सन के अनुसार ही करते हैं। भले ही रोजमर्रा का काम ग्रिगोरियन कैलेंडर से किया जाता है। ग्रिगोरियन कैलेंडर को मानना एक प्रकार से हमारी देश की मजबूरी भी थी। ग्रिगोरियन कैलेंडर स्वीकार किए जाने के वक्त देश में ब्रिटिश शासन लागू था। इसलिए, जब 1752 में ब्रिटेन यानी यूनाइटेड किंगडम ने ग्रिगोरियन कैलेंडर को स्वीकारा तो दुनिया में जहां भी उनका शासन था और उपनिवेश थे, वहां ग्रिगोरियन कैलेंडर को लागू कर दिया गया। 

किसने कब स्वीकारा : 
फ्रांस, इटली, पुर्तगाल, स्पेन, पौंलेंड : 1582 
ऑस्ट्रिया एवं कैथोलिक देश : 1583
अमेरिका, कनाडा, ब्रिटेन और उसके उपनिवेश देश : 1752
जापान : 1873
चीन : 1912
रूस, एस्तोनिया : 1918
ग्रीस : 1923
तुर्की : 1927

LIVE TV