1962 के बाद ऐसा सूर्य ग्रहण, ज्योतिष शास्त्र में प्राकृतिक विनाश और युद्ध के संकेत

आज साल 2020 का पहला सूर्यग्रहण लग रहा है. इस खगोलीय घटना को लेकर ज्योतिषशास्त्रियों का आकलन अच्छे संकेत नहीं दे रहा है. उनका कहना है कि ग्रहण का ऐसा संयोग साल 1962 में बना था, जब एक के बाद एक तीन ग्रहण लगे थे, कुछ ऐसा ही इस बार भी हो रहा है.

ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक, इस सूर्यग्रहण के समय ग्रह नक्षत्रों का ऐसा दुर्लभ संयोग बनने जा रहा है जो पिछले 500 सालों में नहीं बना.

ज्योतिषियों ने कहा कि ग्रह-नक्षत्रों के इस संयोग से दुनिया में बड़े-पैमाने पर आपदा आएगी. प्राकृतिक आपदाएं आएंगी और ये पूरी दुनिया में तबाही मचा सकती है.

सूर्यग्रहण के दौरान ग्रहों का संयोग उत्पातकारी

ज्योतिषी प्रतीक भट्ट ने कहा ग्रह नक्षत्रों की पूरी स्थिति डरावनी और भयावह है, प्राकृतिक आपदा का खतरा बना रहेगा. ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक सूर्यग्रहण के दौरान ग्रहों का संयोग काफी उत्पातकारी है. इसके प्रभाव से प्राकृतिक प्रकोप, भूकंप, सैन्य झड़प या फिर युद्ध भी हो सकता है.

ज्योतिषशास्त्र का कहना है कि 1962 में भी ग्रह नक्षत्रों की ऐसी ही स्थिति बनी थी. अभी 5 जून को चंद्रग्रहण हो चुका है. दूसरा सूर्यग्रहण आज लग रहा है. इसके बाद जुलाई में भी एक ग्रहण और होने वाला है. इससे पहले 1962 में भी ऐसा ही योग बना था और लगातार तीन ग्रहण हुए थे.

58 साल बाद 1962 जैसा संयोग

58 साल पहले 1962 में 17 जुलाई को मांद्य चंद्रग्रहण, 31 जुलाई को सूर्य ग्रहण और 15 अगस्त को दोबारा मांद्य चंद्रग्रहण हुआ था.

बता दें कि 1962 ही वो साल था जब चीन ने धोखे से भारत पर आक्रमण किया था और इस बार भी लद्दाख के गलवान घाटी में भारत और चीन के बीच खूनी जंग हुई है.

ज्योतिषी प्रतीक भट्ट ने दावा किया है कि भारत चीन के खिलाफ 7 जुलाई से पहले बड़ा कदम उठाएगा और भी देश भारत के साथ आएंगे. उन्होंने कहा कि बड़ा युद्ध तो नहीं दिखता है, लेकिन छोटा युद्ध या हिंसक झड़प होने की पूर्ण संभावना है.

रोग-महामारी का चरमोत्कर्ष काल

ज्योतिषाचार्य पंडित दीपक मालवीय ने कहा है कि इस ग्रहण का फल उत्तम नहीं है. उन्होंने कहा कि देश दुनिया के लिए इस अवधि को रोग और महामारी का चरमोत्कर्ष काल कहा जा सकता है.

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