1953 का हुआ तख्तापलट, जानिए 1979 की क्रांति और ईरान और अमेरिका में दुश्मनी की पूरी कहानी…

ईरान ने 21 जून की सुबह अमेरिका के शक्तिशाली जासूसी ड्रोन ट्राइटन को मार गिराया और कहा कि वह ईरानी क्षेत्र में था। इसकी कीमत 1260 करोड़ रुपये बताई जा रही है और अमेरिका इसे मार गिराने को उकसावे का कदम मान रहा है। पिछले कुछ वर्षों में यह दूसरी घटना है जब अमेरिकी ड्रोन को ईरान ने मार गिराया है।

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बतादें की अमेरिका की दलील है कि ड्रोन ईरान के क्षेत्र में नहीं बल्कि अंतरराष्ट्रीय सीमा क्षेत्र में था। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इसे ईरान की बहुत बड़ी गलती कहा है और पता चला है कि ईरान की कार्रवाई को लेकर अमेरिका अंतरराष्ट्रीय कानूनों पर सलाह ले रहा है।

 

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वहीं ईरानी सेना के कमांडर हुसैन सलामी ने दावा किया कि अमेरिकी ड्रोन ईरान की हवाई सीमा में था। इसलिए, उसे हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइल से गिरा दिया गया। जहां उन्हेंने कहा कि ईरान किसी पर भी हमला नहीं करेगा। लेकिन, जो उसकी सीमा में घुसेगा, उसे तबाह कर दिया जाएगा।

लेकिन ड्रोन गिराने की घटना ऐसे समय में हुई है, जब मीडिया रिपोर्ट्स में आशंका जताई गई है कि अमेरिका और ईरान के बीच परमाणु युद्ध हो सकता है। इसे देखते हुए रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने अमेरिका को चेताया है कि हमला करने की गलती न करें।

देखा जाये तो सऊदी अरब ने ईरान से कहा कि जब आप शिपिंग में दखल देंगे तो ऊर्जा की आपूर्ति प्रभावित होगी। ऐसे में तेल की ऊंची कीमतों का असर विश्व के हर व्यक्ति पर पड़ेगा। लेकिन आखिर अमेरिका और ईरान के बीच तनातनी की वजह क्या है और इसकी शुरुआत पहली बार कब हुई थी।

दरअसल यह तनातनी लगभग चार दशक पहले शुरू हुई थी, जब 1971 में यूगोस्लाविया के तत्कालीन राष्ट्रपति जोसिप ब्रोज टीटो, मोनाको के प्रिंस रेनीअर और राजकुमारी ग्रेस, अमेरिका के उपराष्ट्रपति सिप्रो अग्नेयू और सोवियत संघ के स्टेट्समैन निकोलई पोगर्नी ईरानी शहर पर्सेपोलिस में जुटे थे।

जहां इस पार्टी का आयोजन ईरानी शाह रजा पहलवी ने किया था। पार्टी के आठ साल बाद ईरान में नए नेता अयतोल्लाह रुहोल्लाह खुमैनी का आगमन हुआ और उन्होंने इसे शैतानों का जश्न  कहा था।

ट्रंप ने न केवल ईरान पर प्रतिबंध लगाए बल्कि दुनिया के देशों को धमकी देते हुए कहा कि जो भी इस देश के साथ व्यापार जो करेगा वो अमेरिका से कारोबारी संबंध नहीं रख पाएगा। इससे अमेरिका और यूरोप के बीच भी मतभेद सामने आ गए।

 

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