कब्जा परिवर्तन को लेकर तनाव, भूख हड़ताल शुरू

break1बागपत :  दाहा (बड़ौत) : बामनौली गांव में चकबंदी प्रक्रिया किसानों के लिए मुसीबत बनती नजर आ रही है। बुधवार को कब्जा परिवर्तन कराने पहुंचे अधिकारियों को किसानों के विरोध का सामना करना पड़ा। कड़ी सुरक्षा के बीच कब्जा परिवर्तन कार्य किया गया, जिसके चलते दस किसानों ने भूख हड़ताल शुरू कर दी। किसानों के बीच पहुंचे भट्टा पारसोल के नेता मनवीर तेवतिया ने कहा कि किसानों पर अन्याय बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। तनाव की स्थिति को देखते हुए भारी पुलिस बल के साथ चकबंदी अधिकारियों ने कब्जा परिवर्तन का कार्य शुरू
कराया। इस दौरान किसानों ने विरोध किया तो फोर्स ने उन्हें धमकाकर चुप कर दिया। पुलिस, चकबंदी व प्रशासनिक अधिकारियों से किसानों की नोकझोंक हो गई। तनाव इतना बढ़ा कि किसानों ने कब्जा परिवर्तन की कार्रवाई कुछ देर के लिए बंद करा दी, लेकिन सख्ती के चलते किसानों को धकिया दिया गया, जिसके बाद दस किसानों ने बामनौली बस स्टैंड पर धरना शुरू कर दिया। वहां दस किसान श्याम ¨सह, सतपाल, ओमपाल, महेंद्र, ब्रजपाल, नरेश, रामपाल, हरेंद्र, रामचंद्र, खिलारी भूख हड़ताल पर बैठ गए। किसानों के समर्थन में मनवीर तेवतिया वहां पहुंचे। उन्होंने कहा की किसानों के साथ अन्याय बर्दाश्त नहीं होगा। पहले चकबंदी में की गई खामियां दूर की जाए और जिन्होंने कागजों में गड़बड़ी की है उनके विरुद्ध कार्रवाई की जाए। एसडीएम यशवर्धन श्रीवास्तव, उप संचालक चकबंदी रणविजय ¨सह, बंदोबस्त अधिकारी चकबंदी लाल बहादुर, सीओ बड़ौत सीपी ¨सह, तहसीलदार राजबहादुर ¨सह, नायब तहसीलदार अमित मलिक, कोतवाल बड़ौत वीके ¨सह, दोघट थाना प्रभारी लोकेश शर्मा ने किसानों को समझाते हुए धरना समाप्त कराने का असफल प्रयास भी किया। इस पर श्री तेवतिया ने साफ कहा कि किसान अपनी मांगें पूरी होने के बाद ही भूख हड़ताल समाप्त करेंगे। सहमति नहीं बनी तो अधिकारियों ने जबरन कब्जा परिवर्तन की जबरन कार्रवाई कराई। इस दौरान महिला पुलिस समेत भारी पुलिस बल व पीएससी तैनात रही। किसानों ने ऐलान किया कि अफसर चाहे जो कार्रवाई कर लें, वे भूमि की वर्तमान कीमत लेने के बाद ही उसे मानेंगे। इस मौके पर पूर्व प्रधान महीपाल, मा. महेंद्र, विजयपाल, रामफल, अर¨वद एडवोकेट, सुधीर, हरनरेश, सोनू, सोमपाल, राजेंद्र, ईश्वर, देवेंद्र आदि शामिल रहे। मृतक ने कर दी शिकायत?
बामनौली गांव में कब्जा परिवर्तन के मामले को लेकर चल रहे धरने पर पहुंचे अधिकारियों को उस समय चुप्पी साधने पर मजबूर होना पड़ा जब किसानों ने बताया कि बलबीर नामक किसान की मौत 1996 में हो गई थी, जबकि उसके नाम से एक प्रार्थना पत्र 2000 में डाला गया की उसकी चार गाटे की कीमत लगाई जाए। चकबंदी विभाग ने इसी पत्र को आधार बनाकर एक हजार गाटे की कीमत बदल दी गई, जबकि शिकायती पत्र पर न तो कोई तारीख है और न ही उसके हस्ताक्षर हैं।
संवाददाता – मनोज कुमार बागपत

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