खुलासा : इधर अखिलेश लेते शपथ, उधर कट जाता नीतीश का ‘टिकट’

नीतीशलखनऊ। बिहार में सत्ता के साझेदार जेडीयू और आरजेडी के बीच सबकुछ ठीक नहीं है। दोनों दलों के नेताओं के बीच अक्सर तल्ख बयानबाजी की खबरें आती रहती हैं। लेकिन इस बार जो खबर सामने आई है उसके मुताबिक,  आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव ने नीतीश कुमार के ‘तख्तापलट’  की साजिश रच डाली थी, लेकिन यूपी में नरेंद्र मोदी की ऐसी लहर चली की लालू सिर पीट कर रह गए।

राबड़ी देवी कह रही थी जनता तेजस्‍वी को सीएम की कुर्सी पर देखना चाहती है

सूत्रों की मानें तो लालू अपने पुत्र तेजस्वी को सीएम की कुर्सी पर बिठाने के लिए गुपचुप साजिश रच रहे थे। इसी रणनीति के तहत राबड़ी देवी सहित आरजेडी के दूसरे वरिष्ठ नेताओं ने यह कहना भी शुरू कर दिया था कि बिहार की जनता तेजस्वी को सीएम की कुर्सी पर देखना चाहती है।

तेजस्वी को गद्दी पर बिठाने की तैयारी

सूत्रों की मानें तो लालू ने लगभग मन बना लिया था कि यूपी में अखिलेश यादव के सीएम बनने के एक महीने के अंदर ही वह अपनी पार्टी का सपा में विलय करवा देंगे और फिर कांग्रेस की मदद से अपने बेटे और मौजूदा उपमुख्यमंत्री तेजस्वी को बिहार में सीएम की गद्दी पर बिठवा देंगे।

इस कथित ‘तख्तापलट’ की तैयारियों का संकेत यूपी के सीएम अखिलेश यादव के एक इंटरव्यू से भी मिलता है, जिसमें उन्होंने कहा था कि मेरी दिल की आवाज है कि यूपी में मेरे नेतृत्व में दोबारा सरकार बनेगी तब 2019 लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखकर मैं आगे बढ़ूंगा। कांग्रेस तो साथ है ही, फिर लालू और ममता बनर्जी के साथ मिलकर तैयारी करूंगा।

मोदी की आंधी में उड़ी रणनीति

बता दें कि बिहार की 243 सदस्यीय विधानसभा में आरजेडी के 80 और कांग्रेस के 27 विधायक हैं। ऐसे में बहुमत के लिए उन्हें 15 अतिरिक्त विधायकों की जरूरत होती,  लेकिन राजनीति के माहिर लालू के लिए यह कोई मुश्किल काम नहीं था। खबर के मुताबिक,  नीतीश को हालांकि इस चक्रव्यूह की भनक पहले ही लग गई थी और इसी वजह से उन्होंने यूपी चुनाव से दूर रहने का ही निर्णय लिया।

कहा जाता है कि नीतीश के कदम से कुर्मी की अच्छी खासी आबादी वाले पूर्वांचल में बीजेपी को फायदा मिला। वहीं यूपी चुनावों में नरेंद्र मोदी की अगुवाई में बीजेपी की ऐसी आंधी चली कि लालू की यह रणनीति धरी रह गई और अब बिहार में गठबंधन बनाए रखना उनकी मजबूरी बन गई।

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