हो जाये सावधान ! हैकर्स का अगला निशाना बनेगी इंटरनेट कनेक्टेड की कारें , मचा सकते हैं भयंकर तबाही…

आज का समय में आने वाला वक्त सबसे बड़ा हैं। वहीं हमारे देश के एमजी हेक्टर और ह्यूंदै वेन्यू कारें ऐसी हैं जो इंटरनेट कनेक्टेड हैं। देखा जाये तो आश्चर्य की बात है कि जब पूरा ऑटो सेक्टर मंदी से जूझ रहा है, इन कारों की जबरदस्त बुकिंग हो रही है। लेकिन इनमें से चार मीटर से छोटी एसयूवी ह्यूंदै वेन्यू की बुकिंग 50 हजार और हेक्टर की बुकिंग 28 हजार को पार कर चुकी है। जहां इंटरनेट से कनेक्टेड होने के चलते इनकी हैकिंग का खतरा भी मंडराने लगा है, जिसके बाद इनके सुरक्षित होने पर भी सवाल खड़े होने लगे हैं।

 

 

बतादें की कज्यूमर एडवोकेसी ग्रुप ने हाल ही में एक रिपोर्ट प्रकाशित की है, जिनमें चेतावनी देते हुए कहा गया है कि इन नेक्स्ट जेनरेशन व्हीकल्स को हैकर्स से जबरदस्त खतरा है। देखा जाये तो अभी तक हम स्मार्टफोन, लैपटॉप, कंप्यूटर्स, स्मार्टवॉच, स्मार्ट स्पीकर्स या स्मार्ट टीवी के हैक होने की घटनाएं ही सुनते थे। जहां इस ग्रुप का कहना है कि हैकर्स एक झटके में साइबरअटैक करके हजारों लोगों की जानें ले सकते हैं।

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खबरों के मुताबिक इस ग्रुप ने पांच महीने तक कार इंडस्ट्री के 20 तकनीकी विशेषज्ञों और इंजीनियर्स के साथ मिल कर यह रिपोर्ट तैयार की है। जहां ग्रुप का कहना है कि अकेले अमेरिका में ही इस साल के आखिर तक 10 करोड़ से ज्यादा कनेक्टेड कारें सड़कों पर दौड़ेंगीग्राहकों से संभावित खतरे छिपा रही हैं कंपनियां ये कारें देश की सुरक्षा के लिए खतरा हैं।

वहीं कार कंपनियां जनता को अंधेरे में रख कर इंटरनेट कनेक्शन बेस्ड नए-नए फीचर लॉन्च कर रही हैं। वहीं फोर्ड का जिक्र करते हुए कहा गया है कि उसने सिक्योरिटी एक्सचेंज कमीशन में अपनी 10 हजार से ज्यादा फाइलिंग में बताया है कि कंपनी और उसके सप्लायर्स को हैकिंग के बारे में जानकारी है, लेकिन जनता को इन तथ्यों के बारे में जानकारी नहीं है।

दरअसल इसके अलावा न्यू एज कारों में तो सबसे बड़ा खतरा सॉफ्टवेयर का है। कंपनियों का दावा है कि वे अपने सेफ्टी सिस्टम को बेहतर बनाने के लिए इंटरनेट के जरिए सॉफ्टवेयर अपडेट करेंगी। कंपनियां इन कारों को रिकॉल करने की बजाय ओवर-द-एयर सॉफ्टवेयर अपडेट देंगी, जिसमें आपका निजी डाटा और जानकारियां भी कलेक्ट की जाएंगी, मसलन आप कितनी तेज चलाते हैं, कहां से शॉपिंग करते हैं वगैरहा। विशेषज्ञों का मानना है कि आपसे चुपचाप ली रहीं इन जानकारियां का इस्तेमाल डाटा विश्लेषण में किया जाएगा और आगे आपका डाटा विज्ञापन कंपनियों को भी बेचा जा सकता है।

कनेक्टेड कारों में सबसे महत्वपूर्ण होता है ब्लैक बॉक्स। खुद कार बनाने वाली कंपनियां भी नहीं जानतीं कि जिस सॉफ्टवेयर को वे इस्तेमाल कर रहीं हैं उसे कहां डेवलप किया गया है। और उनमें कितना जोखिम है उसके बारे में तो उन्हें अंदाजा ही नहीं है। टेस्ला, ऑडी, ह्यूंदै, मर्सिडीज समेत कई कार कंपनियों को सॉफ्टवेयर्स को थर्ड पार्टियों ने डेवलप किया है।

इन्हें ओपन सोर्स सॉफ्टवेयर्स जैसे एंड्रॉयड, लिनुक्स और FreeRTOS पर बनाया गया है, जिन्हें बनाने में दुनियाभर के सैकड़ों डेवलपर्स का योगदान होता है, जिनकी खामियों को लेकर कोई जवाबदेही नहीं है। इलेक्ट्रिक कारें बनाने वाली दुनिया की प्रसिद्ध कंपनी टेस्ला का उदाहरण देते हुए बताया गया है कि कंपनी ने अपने जरूरी सिस्टम में FreeRTOS का इस्तेमाल किया था, जिसमें अक्टूबर 2018 में कई बड़ी खामियां पाई गईं, लेकिन न तो टेस्ला ने कभी इसे स्वीकार किया या फिर उसे ठीक करने की दिशा में कोई कदम उठाया।

 

 

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