हीरों की बारिश का अनोखा मंज़र, जानिए क्या है इन दो ग्रहों का राज़

Karishma Singh

अक्सर हम धरती वाले धरती की ही बाते करते हैं| अनोखी और नायाब जंतुओं की इस दुनिया में तो नए-नए रंग देखने को मिलते ही है लेकिन यहाँ हम बात अपने सौरमंडल की कर रहें हैं| यहाँ भी अलग मंज़र देखने को मिलते है | हमारे सौरमंडल में आठ ग्रह मौजूद हैं, लेकिन हमारा मंगल, बृहस्पति और शनि पर ज्यादा ध्यान रहता है।

दरअसल हमारे सौरमंडल में दो एसी अनोखी दुनिया हैं जहाँ बेशकीमती हीरों की बरसात हो रही है। यब बात जानकर आप भी चौक गए होंगें| लेकिन यह बात बिल्कुल सच है |हमारे सौरमंडल में मौजूद इन दो ग्रहों का नाम नेप्टयून और यूरेनस है जहां पर यह चमत्कार हो रहा है। नेप्टयून और यूरेनस पर पानी की बारिश नहीं होती है बल्कि हीरे की बरसात होती है।

हीरों की बारिश का राज़

दरअसल हमारी धरती पर बारिश के पानी का निर्माण हाइड्रोजन और ऑक्सीजन की बूंदों से होता है जबकि कई ग्रहों पर पानी के बूंदे मोटी और भारी होती हैं। इनका निर्माण पानी की जगह कार्बन से होता है। इन ग्रहों पर कार्बन और हाइड्रोजन के बॉन्ड तापमान और दबाव की स्थिति चरम पर होने की वजह से टूट जाते हैं। इस वजह से ही हीरे की बारिश होती है।वैज्ञानिकों का दावा है कि इन दो गह्रों पर मौजूद स्थितियों की वजह से कार्बन परमाणुओं को इतना अधिक कठोर कर सकता है जिससे हीरे का निर्माण हो सके।

नाओमी रोवे-गर्नी ने बताया कि यह दोनों ग्रह मीथेन गैस की वजह नीले रगं के दिखाई देते हैं। हम सभी जानते हैं कि मीथेन में कार्बन होता है। उनका कहना है कि नेप्टयून और यूरेनस पर वायुमंडलीय दबाव बहुत अधिक होने की वजह से कार्बन कई बार अलग हो जाता है। दबाव की वजह से क्रिस्टल का निर्माण होता है जो एक हीरा होता है। अगर ग्रह पर आप रहते और देखते तो यह हीरे की बारिश जैसा ही प्रतीत होता।

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