खर्राटे की समस्‍या से महिलाओं में हार्ट अटैक का जोखिम ज्‍यादा, ये जानने के लिए जरूर पढें ये खबर

हेल्थ डेस्क। नींद के दौरान खर्राटे लेने की समस्‍या अब एक गंभीर मोड़ पर पहुंच चुकी है। दुनिया की एक बड़ी आबादी इसकी चपेट में है। वैज्ञानिकों का दावा है कि खर्राटे के चलते होने वाली समस्‍या से सबसे ज्‍यादा प्रभावित महिलाएं हो रही हैं।

खर्राटे की समस्‍या से महिलाओं में हार्ट अटैक का जोखिम ज्‍यादा

 

एक शोध में यह बात निकल कर आई कि खर्राटे के कारण पुरुषों की तुलना में महिलाएं ज्‍यादा प्रभावित हो रही हैं। खर्राटे की समस्‍या से महिलाओं में हार्ट अटैक का जोखिम ज्‍यादा होता है।

महिलाओं में हार्ट अटैक की आंशका प्रबल

एक शोध में जर्मन वैज्ञानिकों ने इस राज से पर्दा उठाते हुए कहा है कि पुरुष की तुलना में महिलाओं के हार्ट का दीवार ज्‍यादा मोटी होती है। दिल की मोटी दीवार मांसपेशियों को कठोर करती हैं। इस कठोरता के कारण शरीर के चारों ओर रक्त को पंप करने के लिए अधिक ताकत लगानी पड़ती है। यानी हार्ट को अधिक श्रम करना पड़ता है। रक्‍त संचार के दौरान ही इन्‍हीं मांसपेशियों से मस्तिष्‍क को ऑक्सीजन प्राप्‍त होती है। महिलाओं में स्लीप एपेना की स्थिति में हार्ट को अधिक श्रम करना पड़ता है, जिससे हार्ट अटैक की आंशका प्रबल हो जाती है।

शोधकर्ताओं ने यूके बायोबैंक से 4,481 लोगों पर यह परीक्षण किया। शोध के दौरान हृदय के एमआरआई स्कैन में यह पाया गया कि पुरुषों की तुलना में महिलाओं का बाएं हृदय का द्रव्यमान अधिक था। निष्‍कर्ष में यह भी पाया गया कि महिलाओं के दिल के मुख्य पंपिंग कक्ष की दीवारें बढ़ी हैं, जिससे दिल को कड़ी मेहनत कर रहा है।

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ऑब्जेक्टिव स्लीप एपेना क्या है

ऑब्जेक्टिव स्लीप एपेना दरअसल, नींद के दौरान खर्राटे की समस्‍या है। दुनिया की एक बड़ी आबादी इसकी चपेट में है। अमेरिका और ब्रिटेन में यह समस्‍या काफी गंभीर है। ब्रिटेन की कुल आबादी का दस फीसद हिस्‍सा इसकी चपेट में है। अमेरिका में करीब एक करोड़ बीस लाख लोग इससे पीड़‍ित हैं।

नींद के दौरान जब किसी व्‍यक्ति के गले की दीवारें संकीर्ण (सिकुड़) हो जाती हैं, तो ऐसे में सांस लेने वाला वायुमार्ग बाधित हो जाता है। सामान्य श्वास में बाधा के चलते सांस लेने के लिए अधिक जोर लगाना होता है, जिससे जोरदार आवाज निकलती है। यही खर्राटा है।

क्‍या है समस्‍या की बड़ी वजह

अक्‍सर, अधिक वजन के कारण यह समस्‍या पैदा हो सकती है। दरअसल, शरीर में अतिरिक्‍त वसा से गर्दन के इर्द-गिर्द साफ्ट ऊतकों का निर्माण होता है। पुरुषों में 40 वर्ष की उम्र में यह समस्‍या बढ़ती है। इसके चलते गर्दन का आकार काफी मोटा हो जाता है। इसके अलावा शराब का अधिक सेवन से भी यह समस्‍या उत्‍पन्‍न हो सकती है। महिलाओं में रजोनिवृत्ति के दौरान हर्मोनल बदलाव से यह दिक्‍क्‍त पैदा हो सकती है। इस दौरान गले की मांसपेशियों शिथिल पड़ जाती हैं।

आखिर क्‍या है उपचार

जीवन शैली में बदलाव से आप इस समस्‍या से निजात पा सकते हैं। इसके अलावा शरीर के वजन को कम करके भी इससे छुटकारा पाया जा सकता है। यदि आप बड़ी मात्रा में शराब का सेवन कर रहे हैं या आपको शराब की लत है तो इस पर विराम लगाएं।

यदि समय रहते इस समस्‍या का निदान नहीं होता तो यह आपके लिए खतनाक साबित हो सकती है। इसके चलते उच्‍च रक्‍त चाप, ब्रेन स्‍टोक या हार्ट अटैक के खतरे बढ़ सकते हैं। इससे डायबटीज-2 होने का खतरा भी बढ़ जाता है। एमडी उपकरण के जरिए इस समस्‍या का निदान मिल सकता है। यह उपकरण एक गम-शील्ड की तरह है, जो गले के पीछे की जगह बढ़ाने के लिए जबड़े और जीभ को आगे बढ़ाता है।

 

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