जानिए क्यों होती है हाइड्रोसेफलस की बीमारी, जो खासकर छोटे बच्चों के लिए है खतरनाक

हाइड्रोसेफलस एक खतरनाक रोग है, जिसमें मरीज के मस्तिष्क में द्रव (लिक्विड) भरने लगता है, जिसके कारण सिर बहुत बड़ा हो जाता है। आमतौर पर ये बीमारी छोटे बच्चों को ही होती है। इस बीमारी को जलशीर्ष भी कहते हैं।

जानिए क्यों होती है हाइड्रोसेफलस की बीमारी, जो खासकर छोटे बच्चों के लिए है खतरनाक

हाइड्रोसेफलस रोग के कारण मरीज की जान भी जा सकती है क्योंकि बहुत अधिक द्रव भर जाने के कारण मस्तिष्क को नुकसान पहुंचता है और कई बार नसों के फट जाने के कारण मस्तिष्क में अंदर ही अंदर खून बहने लगता है। आइए आपको बताते हैं इस बीमारी के कारण और इसके लक्षणों के बारे में।

क्यों होता है हाइड्रोसेफलस रोग

हम सबके मस्तिष्क में एक विशेष प्रकार का द्रव भरा होता है, जिसे सेरेब्रोस्पाइनल फ्लुइड कहते हैं। ये द्रव हमारे मस्तिष्क के लिए इसलिए जरूरी है क्योंकि ये मस्तिष्क को चोट लगने से बचाता है (जिस प्रकार टायर को फटने से ट्यूब में भरी हुई हवा बचाती है।)

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जब ये सेरेब्रोस्पाइनल फ्लुइड मस्तिष्क में जरूरत से ज्यादा भरने लगता है, तो सिर में धीरे-धीरे सूजन आनी शुरू हो जाती है। ज्यादा बढ़ जाने पर मरीज का सिर बहुत अधिक बड़ा हो जाता है, जिससे उसका रूप डरावना लगने लगता है।

बच्चों को क्यों होता है हाइड्रोसेफलस रोग

छोटे बच्चों को हाइड्रोसेफलस रोग का ज्यादा खतरा होता है क्योंकि छोटे बच्चों के सिर की खोपड़ी में हड्डियां पूरी तरह जुड़ी नहीं होती हैं और मस्तिष्क का विकास हो रहा होता है।

कई बार शिशुओं में जन्म के समय ही हाइड्रोसेफलस रोग होता है। अगर समय पर इसका इलाज नहीं किया गया तो यह शिशु के मस्तिष्क को स्थाई रूप से नुकसान पहुंचा सकता है।

क्या हैं हाइड्रोसेफलस रोग के लक्षण

एक साल के बच्चे में सिर का बढऩा इस मर्ज का एक प्रमुख लक्षण है। इसके अलावा उल्टी होना, ज्यादा सोते रहना, ज्यादा चिड़चिड़ापन, ऊपर की तरफ न देख पाना व मिर्गी के दौरे आना कुछ अन्य लक्षण हैं।

एक साल से बड़े बच्चों व वयस्कों में सिरदर्द, चिड़चिड़़ापन, आंखों की रोशनी कम होना, किसी वस्तु का दो-दो रूप दिखना और उल्टी होना प्रमुख लक्षण हैं।
इसके अलावा मिर्गी के दौरे आना और व्यवहार में परिवर्तन, चलते वक्त असंतुलन व पेशाब का छूट जाना प्रमुख लक्षण हैं।

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कैसे किया जाता है हाइड्रोसेफलस का इलाज

सर्जरी द्वारा दिमागी पानी को शरीर के दूसरे हिस्से में एक ट्यूब के सहारे भेज दिया जाता है। इस प्रक्रिया के तहत पेट के अंदर पानी भेजना एक सर्वाधिक प्रमुख उपाय है, लेकिन इस ऑपरेशन के कई नुकसान हो सकते हैं।

जैसे ट्यूब पर संक्रमण हो जाना, ट्यूब का अपर्याप्त रूप से काम करना, नली में रुकावट, शरीर के हिसाब से नली का छोटा पड़ जाना, दिमाग में खून का थक्का बनना व पेट से संबंधित समस्याएं होना।

आजकल दूरबीन विधि से दिमाग के अंदर ही एक रास्ता बना देने वाली पद्धति काफी प्रचलित है। इस पद्धति को थर्ड वैन्ट्रिकुलोस्टॅमी कहते हैं।

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