दिल्ली में हर्षवर्धन-हंसराज-मनोज तिवारी जीते, पूर्व सीएम शीला दीक्षित हारीं
देश का दिल कहे जाने वाली दिल्ली पर भाजपा ने कब्जा बरकरार रखा है। दिल्ली की सातों सीटों पर भाजपा को जीत देकर दिल्ली वालों ने आम आदमी पार्टी और कांग्रेस को पूरी तरह खारिज किया है।
भाजपा दिल्ली में त्रिकोणीय मुकाबले में वोट प्रतिशत बढ़ाने की रणनीति और अपने धारदार मुद्दाें को लेकर दोनों विरोधी दलों पर भारी पड़ी है। आम आदमी पार्टी ने दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दिलाने को मुद्दा बनाकर यह चुनाव लड़ा लेकिन वे मतदाता को इस लक्ष्य को पाने का यकीन दिला पाने में विफल रहे। इसके अलावा सीलिंग, कई बस्तियों में मूलभूत सुविधाओं के अभाव आदि मुद्दे भी पीएम मोदी के चेहरे और राष्ट्रवाद के आगे ठंडे पड़ते दिखे। इसके अलावा मौजूदा सांसदों के प्रति नाराजगी को भांपकर गौतम गंभीर और हंसराज हंस जैसी हस्तियों पर दांव लगाया जो कारगर रहा।
इस लोकसभा चुनाव का एक खास संकेत यह है कि दिल्ली में 2014 के लोकसभा और पिछले विधानसभा चुनाव में तीसरे नंबर पर पहुंच गई कांग्रेस इस बार पांच सीटों पर आम आदमी पार्टी को पछाड़कर दूसरे नंबर पर आ गई है। कांग्रेस ने दिल्ली में अकेले लड़कर जीत तो हासिल नहीं की लेकिन मुख्य विरोधी दल के रूप में अपनी खोई जमीन वापस पाने में सफलता हासिल की है। हालांकि दिग्गज नेताओं शीला दीक्षित, जयप्रकाश अग्रवाल, अजय माकन और बॉक्सर विजेंदर सिंह को चुनावी संघर्ष में हार का सामना करना पड़ा। लेकिन बढ़ी वोट संख्या अगले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के लिए नई उम्मीद का कारण तो बन ही सकते हैं।
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दिल्ली कुल सीटें: 7
भाजपा कांग्रेस आप बसपा
2019 07 00 00 00
2014 07 00 00 00
2009 00 07 — 00