अब स्तन कैंसर नहीं ले पाएगा किसी भी महिला की जान, करना पड़ेगा यह काम

नई दिल्ली| स्तन कैंसर दुनियाभर में तेजी से पैर पसार रहा है। समय पर जांच और पर्याप्त इलाज ही इसका निदान है। विशेषज्ञों का कहना है कि इस कैंसर के इलाज की दिशा में टागेर्टेड रेडिएशन थेरेपी को एक बेहतर विकल्प के रूप में देखा जा सकता है। राजीव गांधी कैंसर इंस्टीट्यूट एंड रिसर्च सेंटर (आरजीसीआईआरसी) की सीनियर कंसल्टेंट और गायनाक्लॉजी रेडिऐशन विभाग की प्रमुख डॉ. स्वरूपा मित्रा ने यह बात कही।

डॉ. स्वरूपा इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए), अलवर शाखा द्वारा आरजीसीआई के साथ मिलकर आयोजित किए गए डॉक्टर्स मीट में बोल रही थीं। इस बैठक में स्तन कैंसर के इलाज की नई तकनीकों पर चर्चा की गई।

डॉ. मित्रा ने बताया, ” कैंसर का इलाज तीन तरह से होता है-सर्जरी, रेडिएशन और कीमोथेरेपी। रेडिएशन थेरेपी का इस्तेमाल सर्जरी के बाद होता है, ताकि दोबारा कैंसर से बचाव हो सके। रेडिएशन से कैंसर कोशिकाएं तो मर जाती हैं, लेकिन इससे स्वस्थ कोशिकाओं को भी नुकसान पहुंचता है। अब 3डीसीआरटी और आईएमआरटी जैसी टागेर्टेड रेडिएशन थेरेपी से यह परेशानी काफी हद तक दूर हो गई है। इसमें स्वस्थ कोशिकाओं को बचाते हुए सीधे प्रभावित क्षेत्र पर रेडिएशन देना संभव होता है। डॉ. मित्रा ने ब्रेथ कंट्रोल्ड रेडियो थेरेपी की चर्चा करते हुए कहा कि यह स्तन कैंसर के मरीजों को बेहतर जिंदगी जीने में सहायक है।”

बैठक के दौरान आरजीसीआई के ओंकोलॉजी विभाग के कंसल्टेंट डॉ. कुमारदीप दत्ता चौधरी ने स्तन कैंसर की वर्तमान परिस्थिति पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि भारत के शहरी इलाकों में महिलाओं में होने वाले कैंसर में सबसे बड़ा हिस्सा स्तन कैंसर का है। यहां तक कि 20-30 साल की युवतियां भी इसका शिकार हो रही हैं।

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डॉ. दत्ता ने कहा, “बिना मेहनत वाली लाइफस्टाइल, प्रोसेस्ड और जंक फूड खाने की आदत तथा खेतों में इस्तेमाल होने वाले पेस्टिसाइड्स की वजह से देश में कैंसर के मामले बढ़ रहे हैं। इससे बचने के लिए सभी को शारीरिक श्रम करने, घर पर बना सेहतमंद खाना खाने और खाने से पहले फलों और सब्जियों को अच्छी तरह धोकर खाने की जरूरत है।”

इस मौके पर आईएमए अलवर के प्रेसीडेंट डॉ. तैयब खान ने आरजीसीआई के प्रवक्ताओं और अन्य उपस्थित लोगों का आभार व्यक्त किया।

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