सेंसर बोर्ड ने कहा- हमें कोई नहीं रोक सकता
मुंबई| केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सेंसर बोर्ड) के अध्यक्ष का कहना है कि किसी भी फिल्म को प्रमाणपत्र मिलने के बाद उसे रिलीज से रोकने का अधिकार किसी को नहीं है।
सीबीएफसी अध्यक्ष पहलाज निहलानी ने कहा कि पाकिस्तानी कलाकारों की उपस्थिति के कारण किसी भी सिनेमा को निशाना बनाना गलत है।
निहलानी ने कहा, “हमने ‘एक तेरा साथ’ और ‘ऐ दिल है मुश्किल’ को सेंसर प्रमाणपत्र दे दिए हैं। दोनों फिल्में रिलीज के लिए समान रूप से योग्य हैं। किसी भी धड़े को, चाहे वह राजनीतिक हो या फिर कुछ और, प्रमाणित फिल्म को रिलीज होने से रोकने का अधिकार नहीं है।”
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निहलानी ने कहा कि ‘ऐ दिल है मुश्किल’ में काम करने वाले फवाद खान अकेले पाकिस्तानी कलाकार नहीं हैं जिन्होंने फिल्म में काम किया है। ‘एक तेरा साथ’ में पाकिस्तानी गायक राहत फतेह अली खान ने दो गाने गाए हैं।
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सेंसर बोर्ड के अध्यक्ष का बयान
सीबीएफसी के अध्यक्ष ने कहा, ” ‘एक तेरा साथ’ इस सप्ताह रिलीज होने वाली है। इसमें (फतेह के गाए) गानों के खिलाफ कोई विरोध क्यों नहीं हुआ? यह एक छोटी फिल्म थी, इसलिए? ‘ऐ दिल है मुश्किल’ को निशाना बनाना आसान था, क्योंकि इसके निर्देशक करण जौहर थे। आखिर क्यों? हाई-प्रोफाइल फिल्में ही हमेशा निशाना क्यों बनती हैं?”
पाकिस्तानी कलाकार फवाद के शामिल होने के कारण ‘ऐ दिल है मुश्किल’ की रिलीज को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा है।
महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) ने इस फिल्म की रिलीज के खिलाफ प्रदर्शन की धमकी दी था। हालांकि, बाद में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और गृहमंत्री राजनाथ सिंह की ओर से इस मामले में किए गए हस्तक्षेप के बाद रिलीज के मुद्दे को सुलझा लिया गया।
‘ऐ दिल है मुश्किल’ की रिलीज को हरी झंडी देने के लिए मनसे ने अपनी शर्त में उन सभी निर्माताओं से पांच-पांच करोड़ भारतीय सेना कल्याण कोष में जमा करने के लिए कहा, जिनकी फिल्मों में पाकिस्तानी कलाकारों को शामिल किया गया है।
इसके अलावा, निर्माताओं के सामने यह शर्त भी रखी गई कि वह भविष्य में किसी भी पाकिस्तानी कलाकार को अपनी फिल्मों में शामिल नहीं करेंगे।
अक्सर विवादों से घिरे रहने वाले निहलानी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आलोचना करने वाले निर्देशक पाकिस्तानी कलाकारों को आड़े हाथों लिया।
नेहलानी ने कहा, “कश्यप चाहते हैं कि प्रधानमंत्री अपने पाकिस्तान दौरे के लिए माफी मांगे। मैं कहना चाहूंगा कि कश्यप को प्रधानमंत्री की नीतियों पर बयान देने के बजाए अपनी फिल्मों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। मोदीजी जानते हैं कि वह क्या कर रहे हैं, लेकिन ‘बॉम्बे वेलवेट’ देखने के बाद भारत जानना चाहता है कि क्या कश्यप जानते हैं कि वह क्या कर रहे हैं?”