मोदी के जिगरी यार ने किया कमाल, कभी भी सुपर पावर नहीं बन पाएगा यह मुस्लिम देश

सुपर पावररियाद। सऊदी अरब की इस्लामिक देशों के बीच खुद को सुपर पावर बनाने की ख्वाहिशें पानी पानी हो गयी हैं। साउदी पिछली लगभग आधी सदी से इस फिराक में लगा हुआ था कि वह सभी इस्लामिक देशों के बीच अपने आप को सुपर पावर बना सके और दो साल पहले तक उसकी कोशिशें सफल होती भी दिख रही थीं लेकिन उसकी इस नीति को झटका तब लगा जब 2014 में तत्कालीन सेक्रेटरी ऑफ स्टेट हिलेरी क्लिंटन द्वारा भेजे गए एक पेपर को विकिलीक्स ने लीक कर दिया था। जिसमें हिलेरी ने लिखा था कि सऊदी और कतर साथ मिलकर सुन्नी देशों में अपना दबदबा कायम करने के लिए लगातार प्रतियोगिता कर रहे हैं।

सुपर पावर

जर्मनी की विदेशी खुफिया सेवा BND को दिसंबर 2015 में सऊदी के बढ़ते दबदबे से इतनी घबराहट हुई थी कि उसने इस संबंध में एक मेमो जारी किया था। जिसमें कहा गया था कि पहले की बात और थी पहले सऊदी राजशाही के बुजुर्ग सदस्य अपने कूटनीतिक आधार को लेकर काफी सावधानी बरतते थे। लेकिन अब इसकी जगह दखलंदाजी जैसी आक्रामक नीति काम कर रही है। जो कि आने वाले समय में सभी के लिए घातक साबित हो सकती है। साथ ही इस मेमो को लेकर कूटनीतिक तौर पर जर्मनी को काफी असहज स्थिति भी झेलनी पड़ी थी। इन सब के बाद जर्मन सरकार ने बीएनडी को यह मेमो वापस लेने का निर्देश दिया।

लेकिन देखने वाली बात यह है कि पिछले एक साल के दौरान BND की सऊदी को लेकर सभी आशंकाएं सही साबित होती दिखीं। उसकी आक्रामक नीतियों के कारण जो अस्थिरता की स्थिति आई वह आज सबके सामने है। बीएनडी ने हालांकि एक बात का अनुमान नहीं लगाया था और जो सही भी साबित होती दिख रही है, वह यह थी कि सऊदी को किस तरह लगभग हर मोर्चे पर बड़ी तेजी से अपनी महत्वाकाक्षांओं को टूटते हुए देखना होगा।

बता दें कि अमेरिका में भी सऊदी के लिए बहुत तेजी से हालात बदले थे और वहां के लोगों के बीच सऊदी को लेकर सबका विरोध बढ़ता गया। साथ ही साथ 9/11 हमले के पीड़ित परिवारों ने सऊदी सरकार पर इस हमले में उनकी भूमिका होने का संदेह जताया और जिसको लेकर अभियोग चलाने की मांग को मंजूरी देने वाला प्रस्ताव अमेरिकी कांग्रेस ने एकमत होकर पारित कर दिया।

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