
केंद्र की मोदी सरकार ने न्यू इंडिया का नारा दिया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सपना है कि न्यू इंडिया में देश की अर्थव्यवस्था 5 लाख करोड़ डॉलर यानी 5 ट्रिलियन डॉलर की हो जाए, जहां एक समय भारत को सोने की चिड़िया कहा जाता था.
लेकिन अंग्रेजों ने भारत का खजाना खाली कर दिया. उसके बाद 1991 से एक बार फिर भारत में आर्थिक तरक्की की शुरुआत हुई, जब से उदारीकरण और आर्थिक सुधार की नीति लागू की गई है.
बतादें की निर्मला सीतारामन ने लोकसभा में 2019-20 का बजट पेश करते हुए 2024-25 तक भारत को 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने के लिए विजन प्रस्तुत किया.
सरकार ने बताया कि इस विजन का मुख्य आधार निवेश प्रेरित विकास और रोजगार सृजन है. दरअसल अर्थव्यवस्था वह सरंचना है, जिसके तहत सभी आर्थिक गतिविधियों का संचालन होता है. उत्पादन उपभोग और निवेश अर्थव्यवस्था की आधारभतू गतिविधियां हैं. सकल घरेलू उत्पाद (GDP) का प्रयोग अर्थशास्त्रियों द्वारा अर्थव्यवस्था को मापने के लिए किया जाता है.
दरअसल सरकार का कहना है कि न्यू इंडिया के लिए घरेलू और विदेश निवेश को बढ़ावा देने पर जोर दिया जा रहा है. इसके लिए अवसंरचना, डिजिटल अर्थव्यवस्था और लघु और मध्यम कम्पनियों में रोजगार सृजन के लिए भारी निवेश की जरूरत है. अगले दशक के विजन का उल्लेख बजट में किया गया है, जिसमें भौतिक और सामाजिक अवसंरचना के निर्माण, मेक इन इंडिया, एमएसएमई, स्टार्ट-अप, रक्षा विनिर्माण, ऑटोमोबाइल, बैटरी, चिकित्सा उपकरण पर विशेष ध्यान दिया जाएगा, इसमें विकास और रोजगार सृजन पर फोकस रहेगा.
वित्त मंत्री ने कहा कि इस वित्त वर्ष में ही भारत की अर्थव्यवस्था का आकार 3 ट्रिलियन डॉलर का हो जाएगा. इस वक्त 2.7 ट्रिलियन डॉलर का है. 55 साल में भारत की अर्थव्यवस्था 1 ट्रिलियन डॉलर की हो पाई थी. पिछले पांच साल में ही सरकार ने इसका आकार 1 ट्रिलियन यानी एक ट्रिलियन डॉलर बढ़ा दिया है. भारत ने 5 साल में अपनी इकॉनमी 1.85 ट्रिलियन डॉलर से 2.75 ट्रिलियन डॉलर कर ली है. लेकिन प्रति व्यक्ति आय में उम्मीद से बेहद कम इजाफा हुआ है.
2017 में भारत फ्रांस को पीछे करके छठे नंबर पर पहुंचा था. इस साल भारत ब्रिटेन को पीछे छोड़कर 5वें नंबर पर आ जाएगा. 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था वाले क्लब में अभी अमेरिका, चीन और जापान ही हैं. लेकिन इस क्लब में जाना इतना आसान नहीं है.