केंद्र की मोदी सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को बढ़ावा देने के लिए उठाया ये मजबूत कदम

सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का भी पूंजी आधार बढ़ सके, इसके लिए केंद्र सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र के 12 बैंकों में 48239 करोड़ रुपये की पूंजी डालने का निर्णय लिया है। इसमें सबसे अधिक रकम 9086 करोड़ रुपये कारपोरेशन बैंक को जबकि दिल्ली मुख्यालय वाले पंजाब नेशनल बैंक को 5908 करोड़ रुपये मिलेंगे। 

सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों

वित्त मंत्रालय में बैंकिंग विभाग के सचिव राजीव कुमार ने एक ट्वीट के जरिये यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि चालू वित्त वर्ष के दौरान सरकार 12 सरकारी बैंकों के नियामक पूंजी आवश्यकता को बनाए रखने और वित्तीय विकास की योजना में मदद करने के लिए 48239 करोड़ रुपये डालेगी। 

इसमें से कॉरपोरेशन बैंक को  9086 करोड़ रुपये और इलाहाबाद बैंक को 6896 करोड़ रुपये की पूंजी मिलेगी। ये दोनों बैंक रिजर्व बैंक के प्रॉम्प्ट कोरेक्टिव एक्शन -पीसीए- निगरानी के तहत बेहतर प्रदर्शन करने वाले हैं। इसके साथ ही बैंक ऑफ इंडिया को 4638 करोड़ और बैंक ऑफ महाराष्ट्र को 205 करोड़ रुपये दिए जाएंगे। हाल ही में ये बैंक रिजर्व बैंक के रेग्युलेटरी सुपरविजन फ्रेमवर्क पीसीए की निगरानी से बाहर आए हैं। कुमार के मुताबिक पंजाब नेशनल बैंक -पीएनबी- को 5908 करोड़ रुपये, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया को 4112 करोड़ रुपये,  आंध्रा बैंक को 3256 करोड़ रूपये और सिंडिकेट बैंक को 1603 करोड़ रुपये मिलेंगे। 

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सरकार पीसीए के दायरे में शामिल अन्य चार बैंकों में 12535 करोड़ रुपये डालेगी। इनमें सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, यूनाइटेड बैंक, यूको बैंक और इंडियन ओवरसीज बैंक शामिल हैं। गौरतलब है कि सरकार ने  अक्टूबर 2017 में सरकारी बैंकों के लिए 2.11 लाख करोड़ रुपये का मेगा रिकैपिटलाइजेशन प्लान की घोषणा की थी। इसमें से 1.35 लाख करोड़ रुपये रिकैपिटलाइजेशन बांड, 18000 करोड रुपये बजटीय सहायता से तथा शेष मार्केट ऑपरेशन से जुटाये जाएंगे। बीते दिसंबर तक इन बैंकों में बजटीय सहायता और रिकैपिटलाइजेशन बांड के जरिये 51533 करोड़ रुपये की पूंजी डाली जा चुकी है। 

क्या है पीसीए

रिजर्व बैंक को जब लगता है कि किसी बैंक के पास वित्तीय बाजार के खतरों का सामना करने को पर्याप्त पूंजी नहीं है, दिए गए ऋण से आय नहीं हो रही और मुनाफा नहीं हो रहा है तो उस बैंक को पीसीए सूची में डाल देता है। ऐसा इसलिए, ताकि उसकी वित्तीय स्थिति सुधारने के लिए तत्काल कदम उठाए जा सके। कोई बैंक कब इस स्थिति से गुजर रहा है, यह पता करने के लिए रिजर्व बैंक ने सीआरएआर, नेट एनपीए और रिटर्न ऑन एसेट्स जैसे कुछ मानक तय किए हैं। 

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