सात महीने से बंद पड़ी सड़क, विधानसभा चुनावों के बहिष्कार की चेतावनी
पर्वतीय क्षेत्रों में सरकारों की महत्त्वाकांक्षाओं की सड़कें किस कदर बनाई जा रही हैं इस बात से आसानी से समझा जा सकता है कि जब नयीं सड़कों की मांग हो या निर्माणाधीन सड़कों पर मानकों व गुणवत्ता सुधारने की बात हो या बरसात के दिनों से बंद पड़ी सड़कें खुलवाने की बात हो विधानसभा थराली के अंतर्गत सड़कों को लेकर जबरदस्त उबाल है। लोगों की सड़कों को लेकर आगामी विधानसभा चुनावों के बहिष्कार की चेतावनियां लगातार दी जा रही है।इस तरह यह एक सोचनीय और दुर्भाग्यपूर्ण विषय सामने आ रहे हैं।
ताज़ा घटनाक्रम राष्ट्रीय राजमार्ग कर्णप्रयाग-ग्वालदम-बैजनाथ-अल्मोडा मोटर मार्ग से सटा ओ मींगगधेरा-मींग-बैनोली तल्ली नव निर्मित मोटर मार्ग का है जिसकी लंबाई मात्र तीन कीलोमीटर है। इस सड़क पर सन् 2019 में पीएमजीएसवाई के आधीन निर्माण कार्य शुरू हुआ था और प्रथम चरण का कार्य पूर्ण भी हो चुका है और अब इस सड़क को एन पी सी सी नामक संस्था को हस्तांतरित कर दिया गया है एवं अब इसी संस्था के माध्यम से द्वितीय चरण के लिए भी इसके टेंडर हो गये हैं। लेकिन बरसात के बाद पिछले सात महीनों से यह सड़क बदहाली की अवस्था में पड़ा हुआ है।
इस संबंध में तीन ग्राम पंचायतों क्रमशः मी़ग,विधायक व बैनोली के जनप्रतिनिधियों और जनता ने आज एक आपात बैठक की। बैठक में वक्ताओं ने कहा कि सात महीने से बंद सड़क को सुचारू करने के लिए उन्होंने उपजिलाधिकारी, जिलाधिकारी सहित संबंधित कार्यदायी संस्था व पीएमजीएसवाई व एन पी सी सी से लगातार गुहार लगाई है परंतु उन्होंने आरोप लगाए कि कोई उनकी नहीं सुनी रहे हैं। जिसके लिए उन्होंने बैठक में निर्णय लिया है कि सोमवार को उनका एक शिष्टमंडल जिलाधिकारी से मिलकर सड़क को खुलवाने की मांग करेंगे।और उनके लिखे हुए ज्ञापन में कहा गया है कि पिछले सात महीनों से बंद सड़क के बीच लोगों के तमाम वाहन फंसे हुए हैं जिनका टेक्स वाहन मालिक घर से चुका रहे हैं।
हालांकि अभी छ: दिसंबर को मुख्य विकास अधिकारी के जनता दरबार में भी यह शिकायत दर्ज की गई थी और तब मुख्य विकास अधिकारी ने भी संबंधित विभाग को इस सड़क पर द्रुतगति से कार्य कर यातायात व्यवस्था को सुचारू करने के निर्देश दिए थे परन्तु जब उच्चाधिकारियों के निर्देश ही बोने साबित हो रहे हैं तो आम जनता की ऐसे संस्थाओं के आगे बिशात ही क्या है।
लोगों ने बताया कि इस सड़क पर काम करने के लिए जब पीएमजीएसवाई को कहा जाता है तो वे कहते हैं कि एनपीसीसी करेगा और कहा कि जब एनपीसीसी को तत्काल कार्य करने को कहा जाता है तो वे कहते हैं कि पीएमजीएसवाई करेगा।लोग बहुत ही मायूसी से कहते हैं कि हम तो शासन प्रशासन और दोनों संस्थानों के बीच चकरघिन्नी बनकर रह गए हैं।और अब उनके सामने आंदोलन करने के अलावा कोई विकल्प बचा नहीं है। इस तरह उन्होंने भी आगामी विधानसभा चुनावों का बहिष्कार करने की भी चेतावनी दी है।