सऊदी अरब जाकर काम करने वाली महिलाओं के साथ हुआ ऐसा कि सुनकर रूह काँप जायेगी !…  

भारत में केरल, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और कई छोटे और बड़े राज्यों से औरतें और आदमी रोजगार की तलाश में खाड़ी देशों में जाते हैं.इनमें ज्यादातर लोग बहुत कम पढ़े-लिखे होते है. इसीलिए आदमी मजदूरी करते हैं. और महिलाएं घरों में काम के लिए बुलाई जाती हैं.

लेकिन सबकुछ इतना आसान नहीं होता. ये औरतें वहां जाकर फंस जाती हैं. यौन शोषण, उत्पीड़न और भूख-प्यास झेलती हैं. और जब लौटकर आती हैं, तो उनकी कहानी जैनब, इल्यास बेगम, और अमीना जैसी ही होती है.

टाइम्स ऑफ इंडिया ने रोजगार की तलाश में सऊदी अरब गईं इन महिलाओं से बात की. जाना कि वहां उनके साथ क्या-क्या हुआ. उन्होंने क्या कुछ झेला.

जैनब हैदराबाद में रहती हैं. वो बताती हैं कि उन्हें घरेलू मदद यानी घरों में काम के लिए सऊदी अरब भेजा गया था.

वो कहती हैं, ‘मुझसे कहा गया था कि मुझे एक बुजुर्ग औरत की देखभाल करनी होगी. उसके लिए मुझे अच्छा पैसा मिलेगा. मुझे 20,000 रुपये तनख्वाह मिलेगी.

मुझे वहां ले जाने के बाद कैद कर दिया. फोन नहीं करने दिया जाता था. काम करते हुए तीन महीने हो गए, तो मैंने पैसों के बारे में पूछा, कहा कि मुझे वो पैसे इंडिया में मेरे घर भेजने हैं, तो उन्होंने पैसे देने से मना कर दिया.

उन्होंने कहा कि मुझे यहां भेजने वाले एजेंट को वो पैसे दे चुके हैं. जब मैंने दोबारा पैसे मांगे तो मुझे पीटने लगे. मुझे चप्पल से, खजूर के पेड़ की लकड़ी से और कोई भी चीज जो उनके हाथ में हो, उससे पीटते थे.

मुझे धमकी दी गई कि पेड़ से लटकाकर मार दिया जाएगा. जब मुझसे ये सब नहीं बर्दाश्त हुआ, तो मैंने अपनी जान लेने की कोशिश की. मैंने बाथरूम साफ करने वाला लिक्विड पी लिया.

उसे पीने के बाद में थोड़ी देर में बेहोश हो गई. उन्होंने मुझे सिर्फ एक गोली खाने को दी और घर में बंद रखा, मैं बहुत दर्द में थी.

लेकिन उन्हें परवाह नहीं थी कि मैं जिंदा रहूं या मरूं. वो एक जेल था, जिसमें मुझे टॉर्चर किया जाता था. मैं आज भी उस दर्द में जी रही हूं.’

जैनब के परिवार ने भारत सरकार से उन्हें छुड़ाने के लिए अपील की. एंबेसी ने उन्हें रियाद में उस घर से आजाद कराया. वो उन हजारों औरतों में से एक हैं, जिन्हें अवैध तरीके से हैदराबाद से मिडिल ईस्ट भेजा गया था.

हैदराबाद के शाहीनगर में रहने वाली इल्यास बेगम अब सिर्फ एक पैर के सहारे ही चल पाती हैं. लेकिन वो बचपन से ऐसी नहीं हैं.

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इल्यास बताती हैं, ‘2016 में मुझे दुबई में एक घर में काम के लिए भेजा गया था. लेकिन वहां पहुंचते ही मुझे रियाद भेज दिया गया. जब मैंने ज्यादा काम होने की शिकायत की तो मुझे रॉड से पीटा गया.

एक दिन मालिक के बेटे ने मेरे साथ जबरदस्ती करने की कोशिश की. मैं उससे बचने के लिए भागकर थर्ड फ्लोर पर चली गई. वो भी मेरे पीछे वहां आ गया और मुझे धक्का दे दिया.’

इल्यास तीन महीने तक अस्पताल में रहीं और वहां काम कर रहे भारतीय लोगों ने उनकी मदद की. उनके पति मोहम्मद खान ने एंबेसी को लेटर लिखा था, जिसके बाद उन्हें वहां से सुरक्षित निकाला गया. उनके पैर का इलाज चल रहा है, जिसके लिए उन्हें रोज अस्पताल जाना पड़ता है.

इल्यास कहती हैं, ‘मैं खुश हूं कि मैं घर वापस आ गई, लेकिन काश कि मैं चल पाती. और मुझे मेरे पति पर बोझ नहीं बनना पड़ता.’

अमीना का घर भी हैदराबाद में ही है. वह सैदाबाद इलाके की सिंगरेनी कॉलोनी में रहती हैं. उन्हें भी अवैध तरीके से भारत से दुबई भेजा गया था. उन्हें वहां की जो चीज सबसे ज्यादा याद है, वो भूख से तड़पना है.

अमीना कहती हैं, ‘मुझे दिन में एक बार खाना दिया जाता था. मुझे पानी के लिए भी गिड़गिड़ाना पड़ता था. मैं पूरा दिन काम करती थी, उसके बाद भी वो लोग मुझे टॉर्चर करते थे. एक दिन वो किसी तरह घर से बाहर निकलकर पुलिस तक पहुंचीं.’

पुलिस ने भारतीय दूतावास से संपर्क किया, जिसके बाद अमीना भारत आ सकीं.

इन सभी महिलाओं की कहानी एक जैसी है. ये कहती हैं कि इनकी किस्मत अच्छी थी, इसलिए वो जिंदा अपने घर लौट आईं. अवैध तरीके से मिडिल ईस्ट भेजी गईं कई औरतें और लड़कियां आज भी नर्क में जीने के लिए मजबूर हैं.

 

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