श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर पूर्ण होगी हर मुराद, भगवान वासुदेव का ऐसे करें पूजन और व्रत  

श्रीकृष्ण जन्माष्टमीकृष्ण भगवान दशदीश्‍वर का एक ऐसा अवतार जिसके दर्शन मात्र से प्राणियो के, घट घट के संताप, दु:ख, पाप मिट जाते है। जिन्होंने इस श्रृष्टि को गीता का उपदेश दे कर उसका कल्याण किया, जिसने अर्जुन को कर्म का सिद्धांत पढाया, यह कृष्‍ण जन्‍माष्‍टमी उनका जन्मोत्सव है। हमारे वेदों में चार रात्रियों का विशेष महातव्य बताया गया है दीपावली जिसे कालरात्रि कहते है, शिवरात्रि महारात्रि है,श्री कृष्ण जन्माष्टमी मोहरात्रि और होली अहोरात्रि है।

श्रीकृष्ण जन्माष्टमी 25 अगस्‍त को

ज्योतिषाचार्यों ने 25 अगस्त को जन्माष्टमी को सर्वश्रेष्ठ माना है। इस बार रोहिणी नक्षत्र 25 अगस्त को ही पड़ रहा है।

इस बार पंचांग में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी स्मार्त और वैष्णव भेद से 24 तथा 25 अगस्त को दर्शायी गई है। पौराणिक दृष्टि से भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र में मध्य रात्रि के समय भगवान श्रीकृष्ण का अवतार हुआ था। इसी के अनुरूप कुछ स्थानों पर मध्य रात्रि में व्याप्त अष्टमी तो कुछ स्थानों पर उदयकालीन अष्टमी में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का पर्व मनाया जाता है। अर्थात कुछ लोग सप्तमी में जन्माष्टमी व्रत धारण कर रात्रि में अष्टमी आने पर परायण करते हैं तो कुछ लोग अगले दिन उदयकालीन अष्टमी में व्रत धारण कर मध्यरात्रि में परायण करते हैं।

इस बार 24 अगस्त को दिनभर सप्तमी तिथि रहेगी और रात्रि 10 बजकर 16 मिनट पर अष्टमी तिथि का प्रवेश होगा। 25 अगस्त को सूर्योदय काल से ही पूरे दिन अष्टमी तिथि रहेगी और रात्रि 8 बजकर 7 मिनट पर नवमी तिथि का प्रवेश होगा।

अतः अष्टमी तिथि तो दोनों ही दिन रहेगी परंतु 25 अगस्त को दोपहर 12 बजकर 5 मिनट पर रोहिणी नक्षत्र भी शुरू हो जाएगा, जिससे इस दिन अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र का संयोग पूरा हो जाएगा। अतः 25 अगस्त में रोहिणी नक्षत्र से युक्त अष्टमी का दिन ही जन्माष्टमी के व्रत के लिए श्रेष्ठ माना जाएगा। श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के व्रत का परायण रात्रि में चंद्र दर्शन कर और अर्घ्य देने के बाद ही किया जाता है।
ज्‍योतिषार्चों के अनुसार 25 अगस्त को कृतिका नक्षत्र में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पड़ रही है। इस दिन श्रीकृष्ण जन्माष्टमी 96.4 प्रतिशत फल के साथ आ रही है। पंचांग और वैष्णव मत के अनुसार जन्माष्टमी 24 अगस्त की भी मानी गई है, जो कि 64.3 प्रतिशत फल के साथ है। श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का प्रारंभ 24 अगस्त की रात्रि 11.18 मिनट से प्रारंभ हो जाएगा।

श्रीकृष्ण जन्‍माष्‍टमी है जगदीश्‍वर के पृथ्‍वी पर आने का दिन 

जिनके जन्म के संयोग मात्र से बंदी गृह के सभी बंधन स्वत: ही खुल गए, सभी पहरेदार घोर निद्रा में चले गए, मां यमुना जिनके चरण स्पर्श करने को आतुर हो उठी, उस भगवान श्री कृष्ण को सम्पूर्ण श्रृष्टि को मोह लेने वाला अवतार माना गया है। इसी कारण वश जन्माष्टमी की रात्रि को मोहरात्रि कहा गया है। इस रात में योगेश्वर श्रीकृष्ण का ध्यान, नाम अथवा मंत्र जपते हुए जगने से संसार की मोह-माया से आसक्ति हटती है।

जन्माष्टमी का व्रत को व्रतराज कहा गया है। इसके सविधि पालन से प्राणी अनेक व्रतों से प्राप्त होने वाली महान पुण्य राशि प्राप्त कर सकते है। योगेश्वर कृष्ण के भगवद गीता के उपदेश अनादि काल से जनमानस के लिए जीवन दर्शन प्रस्तुत करते रहे हैं। श्रीकृष्ण जन्माष्टमी भारत में हीं नहीं बल्कि विदेशों में बसे भारतीय भी पूरी आस्था व उल्लास से मनाते हैं।

भविष्य पुराण के जन्माष्टमी व्रत-माहात्म्य में यह कहा गया है कि जिस राष्ट्र या प्रदेश में यह व्रतोत्सव किया जाता है, वहां पर प्राकृतिक प्रकोप या महामारी का ताण्डव नहीं होता। मेघ पर्याप्त वर्षा करते हैं तथा फसल खूब होती है। जनता सुख-समृद्धि प्राप्त करती है। इस व्रतराज के अनुष्ठान से सभी को परम श्रेय की प्राप्ति होती है। व्रतकर्ता भगवत्कृपा का भागी बनकर इस लोक में सब सुख भोगता है और अन्त में वैकुंठ जाता है। कृष्णाष्टमी का व्रत करने वाले के सब क्लेश दूर हो जाते हैं। दुख-दरिद्रता से उद्धार होता है।

गृहस्थों को पूर्वोक्त द्वादशाक्षर मंत्र से दूसरे दिन प्रात: हवन करके व्रत का पारण करना चाहिए। जिन भी लोगो को संतान न हो, वंश वृद्धि न हो, पितृ दोष से पीडि़त हो, जन्मकुंडली में कई सारे दुर्गुण, दुर्योग हो, शास्त्रों के अनुसार इस व्रत को पूर्ण निष्ठा से करने वाले को एक सुयोग्य,संस्कारी,दिव्य संतान की प्राप्ति होती है, कुंडली के सारे दुर्भाग्य सौभाग्य में बदल जाते है और उनके पितरो को नारायण स्वयं अपने हाथो से जल दे के मुक्तिधाम प्रदान करते है।

श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर इन मंत्रों से करेंं प्रभू की पूजा

जिन परिवारों में कलह-क्लेश के कारण अशांति का वातावरण हो, वहां घर के लोग जन्माष्टमी का व्रत करने के साथ निम्न किसी भी मंत्र का अधिकाधिक जप करें-

ऊॅ नमो नारायणाय

ऊॅ नमों भगवते वासुदेवाय

ऊॅ श्री कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने। प्रणत: क्लेश नाशाय गोविन्दाय नमो नम:॥

अथवा

श्री कृष्ण गोविन्द हरे मुरारी हे नाथ नारायण वासुदेवाय

गोविन्द, गोविन्द हरे मुरारी हे नाथ नारायण वासुदेवाय

उपर्युक्त मंत्र में से किसी का भी का जाप करते हुए सच्चिदानंदघन श्रीकृष्ण की आराधना करें। इससे परिवार में व कुटुंब में व्याप्त तनाव, समस्त प्रकार की समस्या, विषाद, विवाद और विघटन दूर होगा खुशियां घर में वापस लौट आएंगी। गौतमी तंत्र में यह निर्देश है- प्रकर्तव्योन भोक्तव्यं कदाचन। कृष्ण जन्मदिने यस्तु भुड्क्ते सतुनराधम:। निवसेन्नर केघोरे यावदाभूत सम्प्लवम्॥ अर्थात- अमीर-गरीब सभी लोग यथाशक्ति-यथासंभव उपचारों से योगेश्वर कृष्ण का जन्मोत्सव मनाएं। जब तक उत्सव सम्पन्न न हो जाए तब तक भोजन कदापि न करें।

भगवान श्रीकृष्ण, बाल-गोपाल श्रीकृष्ण के मंत्र ना सिर्फ आर्थिक समस्या दूर करते हैं बल्कि जीवन की हर परेशानी में कान्हा के चमत्कारी मंत्र सहायक सिद्ध होते हैं। चाहे संतान प्राप्ति हो या घर में होने वाले कलह, लव मैरिज हो या विजय प्राप्ति की अभिलाषा, हर समस्या का अंत करते हैं श्रीकृष्ण के प्रस्तुत मंत्र :

कृं कृष्णाय नम: यह स्वयं भगवान श्रीकृष्ण द्वारा बताया गया मूलमंत्र है। इसके प्रयोग से रुका हुआ धन प्राप्त होता है। इसके अलावा इस मूलमंत्र का जाप करने से घर-परिवार में सुख की वर्षा होती है।

ऊं श्रीं नम: श्रीकृष्णाय परिपूर्णतमाय स्वाहा – यह श्रीकृष्ण का सप्तदशाक्षर महामंत्र है। अन्य मंत्र शास्त्रीय मान्यताओं के अनुसार 108 बार जाप करने से ही सिद्ध हो जाते हैं लेकिन इस महामंत्र का पांच लाख जाप करने से ही सिद्ध होता है। इससे अटके काम पूरे होते हैं।

गोवल्लभाय स्वाहा- ये केवल दो शब्द दिखाई देते हैं लेकिन धार्मिक संदर्भ से देखें तो इन शब्दों को बनाने के लिए प्रयोग में आए सात अक्षर बेहद महत्वपूर्ण हैं। यदि उच्चारण के समय एक भी अक्षर सही से नहीं पढ़ा जाए, तो इस मंत्र का असर खत्म हो जाता है।

गोकुल नाथाय नम:- इस आठ अक्षरों वाले श्रीकृष्ण मंत्र का जो भी साधक जाप करता है उसकी सभी इच्छाएं व अभिलाषाएं पूर्ण होती हैं। आर्थिक, आत्मिक और भौतिक सुखों की प्राप्ति होती है।

क्लीं ग्लौं क्लीं श्यामलांगाय नम:- इस मंत्र का प्रयोग साधक आर्थिक स्थिति में सुधार की कामना से करते हैं। यह संपूर्ण सिद्धि देना वाला मंत्र है। यह मंत्र आर्थिक स्थिति में सुधार ही नहीं करता बल्कि उसे दृढ़ भी बनाता है।

घर में होता हो कलह तो पढ़ें यह मंत्र- कृष्णाष्टमी का व्रत करने वालों के सब क्लेश दूर हो जाते हैं। दुख-दरिद्रता से उद्धार होता है। जिन परिवारों में कलह-क्लेश के कारण अशांति का वातावरण हो, वहां घर के लोग जन्माष्टमी का व्रत करने के साथ इस मंत्र का अधिकाधिक जप करें : कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने। प्रणत क्लेशनाशाय गोविन्दाय नमो नम:॥ इस मंत्र का नित्य जप करते हुए श्रीकृष्ण की आराधना करें। इससे परिवार में खुशियां वापस लौट आएंगी।

ऊं नमो भगवते श्रीगोविन्दाय- यह ऐसा मंत्र है जो विवाह से जुड़ा है। जो जातक प्रेम विवाह करना चाहते हैं लेकिन किन्हीं कारणों से हो नहीं रहा तो वे प्रात: काल में स्नान के बाद ध्यानपूर्वक इस मंत्र का 108 बार जाप करें।

ऐं क्लीं कृष्णाय ह्रीं गोविंदाय श्रीं गोपीजनवल्लभाय स्वाहा ह्र्सो- यह मंत्र उच्चारण में थोड़ा कठिन जरूर है लेकिन इसका प्रभाव अचूक है। यह मंत्र वाणी का वरदान देता है।

जिन लड़कों का विवाह नहीं हो रहा हो या प्रेम विवाह में विलंब हो रहा हो, उन्हें शीघ्र मनपसंद विवाह के लिए श्रीकृष्ण के इस मंत्र का 108 बार जप करना चाहिए-

क्लीं कृष्णाय गोविंदाय गोपीजनवल्लभाय स्वाहा।’

जिन कन्याओं का विवाह नहीं हो रहा हो या विवाह में विलंब हो रहा हो, उन कन्याओं को श्रीकृष्ण जैसे सुंदर पति की प्राप्ति के लिए माता कात्यायनी के इस मंत्र का जप वैसे ही करना चाहिए जैसे द्वापर युग में श्रीकृष्ण को पति रूप में पाने के लिए गोकुल की गोपियों ने किया था।

कात्यायनि महामाये महायोगिन्यधीश्वरि।

नन्दगोपसुतं देवि पतिं मे कुरू ते नम:।।

जिन व्यक्तियों के कोई गुरु न हो या किसी पारंपरिक वैदिक संप्रदाय में दीक्षित न हो, उन्हें गुरुभक्ति प्राप्त करने के लिए जन्माष्टमी के शुभ समय में इस मंत्र का जप करना चाहिए-

वसुदेव सुतं देवं कंस चाणूर्मर्दनम्।

देवकी परमानन्दं कृष्णं वन्दे जगद्गुरुम्।।

शीघ्र संतान प्राप्ति के लिए घर में श्रीकृष्ण के बालस्वरूप लड्डूगोपालजी की प्रतिमा स्थापित करनी चाहिए। अनेक पुराणों में वर्णित संतान प्राप्ति का यह सबसे सहज उपाय है। कान्हा जैसी सुंदर संतान के लिए इस मंत्र का उच्चारण करें-

सर्वधर्मान् परित्यज्य मामेकं शरणं व्रज।

अहं त्वा सर्वपापेभ्यो मोक्षयिष्यामि मा शुच।।

जिन परिवारों में संतान सुख न हो कुंडली में बुध और गुरु संतान प्राप्ति में बाधक हों तब पति-पत्नी दोनों को तुलसी की शुद्ध माला से पवित्रता के साथ ‘संतान गोपाल मंत्र’ का नित्य 108 बार जप करना चाहिए या विद्वान ब्राह्मणों से सवा लाख जप करवाने चाहिए-

देवकीसुतं गोविन्दम् वासुदेव जगत्पते।

देहि मे तनयं कृष्ण त्वामहं शरणं गत:।

जीवन में आने वाली विपरीत परिस्थितियों में विजय प्राप्त करने के लिए श्रीमद्भगवद्गीता के इस श्लोक को पढ़ना चाहिए-

यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत।

अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम्।।

सभी प्रकार की संपत्ति प्राप्त करने के लिए प्रतिदिन इस मंत्र का उच्चारण करें-

यत्र योगेश्वर: श्रीकृष्ण: यत्र पार्थो धनुर्धर:।

तत्र श्रीर्विजयो भूतिध्रुवा नीतिर्मतिर्मम।।

दुख या क्लेश के निवारण के लिए श्रीकृष्ण का ध्यान करते हुए 11 बार निम्नलिखित मंत्र का जप एकाग्रचित्त होकर करना चाहिए-

कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने।

प्रणत क्लेशनाशय गोविंदाय नमो नम।।

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