वैज्ञानिक की इस खोज के बाद आप कर सकते है भविष्य काल की यात्रा, जानें प्रक्रिया

अगर कोई आपसे कहे कि वह भविष्य या भूतकाल की यात्रा करके आया है तो आप जरूर चौंक जाएंगे क्योंकि किसी भी दृष्टि से ऐसा संभव नहीं है. अभी तक विज्ञान के पास भी ऐसा कोई तर्क या यंत्र नहीं है जो इंसान को किसी दूसरे युग या काल में एक ही समय में ले जाए. ज्यादातर लोग टाइम ट्रैवल को साइंस फिक्शन बताकर टाल देते हैं, लेकिन क्या ये बात पूरी तरह से बेतुकी है! टाइम ट्रैवल की थ्योरी को विज्ञान भी पूरी तरह से नकार नहीं पाता. कुछ वैज्ञानिकों का मानना है कि सर आइंस्टीन की एक थ्योरी टाइम ट्रैवल की गुत्थी सुलझा सकती है.

दुनियाभर में ऐसे कई लोग हैं जो यह दावा कर चुके हैं कि वो समय की यात्रा करके आये हैं. 1911 में पहली बार चारोलेट ऐने मोबेरली और ऐलेनोर जॉर्डन ने एक किताब लिखी थी, जिसका नाम था ‘ऐन एडवेंचर’. इस किताब में उन्होंने टाइम ट्रैवल का जिक्र किया था और उनका कहना था की एक दिन वह दोनों घूमते-घूमते अठारवीं शताब्दी में पहुंच गए थे. हालांकि लोगों ने इसे एक मनगढंत कहानी बताकर नज़रअंदाज़ कर दिया था लेकिन उसके बाद भी कई लोगों ने समय की यात्रा करने का दावा पेश किया है.

साल 2006 में स्वीडन के एक पुरुष हॉकन नोर्डक्विस्ट ने अपनी कुछ तस्वीरें इंटरनेट पर डाली जिसने पूरी दुनिया में सनसनी फैला दी थी. उनका कहना था कि वो भविष्य की यात्रा करके आए हैं जहां वो 70 वर्षीय हॉकन नोर्डक्विस्ट से भी मिले. हालांकि इस बात में कितनी सच्चाई है, इसका पता नहीं चल पाया लेकिन आगे भी ऐसे कई खुलासे होते रहे हैं.

हाल ही में एक इंटरनेशनल टीवी चैनल ने एक टाइम ट्रैवलर नोआ का इंटरव्यू सोशल मीडिया पर अपलोड किया जिसका दावा है कि वह भविष्य की यात्रा करके आया है. नोआ पहले भी भविष्य को लेकर कई खुलासे कर चुके हैं लेकिन हाल ही में उन्होंने चौकाने वाला खुलासा किया है. उनका कहना है कि 2030 में मार्टिन लूथर किंग की पोती योलांडा रेनी किंग अमेरिका की राष्ट्रपति बनेंगी और इसके साथ ही वह अमेरिका की आखिरी राष्ट्रपति भी होंगी. हालांकि इस बात में कितनी सच्चाई है ये तो वक़्त ही बताएगा.

आखिर क्या कहता है साइंस

टाइम ट्रैवेल को लेकर शुरू से वैज्ञानिकों के बीच मतभेद रहा है. कुछ वैज्ञानिकों का मानना है कि ऐसा संभव है वही कुछ इसे बिल्कुल भी नकार देते हैं. 1915 में अल्बर्ट आइंस्टीन ने एक थ्योरी दी थी, जिसका नाम था ‘थ्योरी ऑफ रिलेटिविटी’. इस थ्योरी में समय और गति के बीच के संबंध को समझाया गया था. इस थ्योरी में ऐसा बताया गया था कि हर परिस्थिति में ‘समय’ एक गति से नहीं चलता. समय पूरी तरह से ‘गति’ यानी ‘स्पीड’ पर आश्रित है. इसे ऐसे समझिए, जैसे अगर आपकी गति ज्यादा है तो आप एक तय दूरी को कम समय में पूरी कर सकते हैं वहीं धीमी गति होने पर उतनी ही दूरी को तय करने के लिए आपको ज्यादा समय लगेगा. इसी तरह अगर आप अपनी गति बहुत तेज कर लें तो आप समय से आगे निकल सकते हैं, जिसे हम भविष्य भी कह सकते हैं.

यूनिवर्स में घट रही चीजों की एक निश्चित स्पीड लिमिट है, जैसे अगर हम लाइट की बात करें तो उसकी स्पीड लिमिट है 299,792,458 m/s, मतलब लाइट की स्पीड इससे ज्यादा नहीं हो सकती. अब सोचिये, अगर हमने अपनी स्पीड को लाइट के स्पीड में बदल दिया तो क्या होगा? हो सकता है हम लाइट की स्पीड से ट्रैवेल करने पर अभी के समय से आगे निकल जाएं.

1971 में जोसेफ सी हाफेले और रिचर्ड ई कीटिंग ने ‘थ्योरी ऑफ रिलेटिविटी’ को लेकर एक एक्सपेरिमेंट किया था जिसका नाम था, Hafele–Keating Experiment. इस एक्सपेरिमेंट में उन्होंने चार एटॉमिक क्लॉक यानी परमाणु घड़ी का इस्तेमाल किया था. इन घड़ियों को लेकर उन्होंने धरती के दो चक्कर लगाए, लेकिन जब वह दोनों वापस लौटे तो नतीजे हैरान करने वाले थे. उन्होंने अपनी ऑब्ज़र्वेटरी में एक परमाणु घड़ी छोड़ दिया था वहीं बाकी 3 घड़ियां उनके साथ धरती का चक्कर लगा रही थी.

गंगा की सफाई के लिए मोदी ने नीलाम की अपनी ये चीजें

जब वह वापस लौटे तो उन्होंने पाया कि चारों घड़ियों की टाइमिंग अलग-अलग थी. बल्कि जो घड़ी उन्होंने अपने लैबोरेटरी में छोड़ी थी उसकी टाइमिंग सबसे धीमी थी. ऐसा इसलिए क्योंकि बाकी घड़ियां स्पेस में कई गुना तेजी से ट्रैवल कर रही थी, वहीं लेब्रोटरी में रखी घड़ी बिल्कुल स्थिर थी. लेकिन इस एक्सपेरिमेंट के बाद एक बात तो साफ हो गयी कि अगर हम अपनी स्पीड को बढ़ा लें तो हम समय से आगे बढ़ सकते हैं, यानी भविष्य में जा सकते हैं. हालांकि अभी तक शायद विज्ञान उतनी तरक्की नहीं कर पाया है जिससे हम समय की गति से आगे निकल सके. लेकिन भविष्य में ऐसा हो भी सकता है.

LIVE TV