वेब सीरीज ‘हसमुख’ की स्ट्रीमिंग रोकने वाली याचिका पर दिल्ली उच्च न्यायालय का बयान, ये है पूरा मामला

वेब सीरीज को इन दिनों खूब देखा जा रहा है. लोगों को अब फिल्मों से ज्यादा वेब सीरिज का चसका लग गया है. हाल ही में आई कॉमेडियन वीर दास स्टारर वेब सीरीज हसमुख चर्चा का विषय बन गई. इस वेब सीरिज पर आरोप लगे हैं जिसकी वजह से यह अदालत तक चली गई. दिल्ली के उच्च न्यायलय से न्यायमूर्ति संजीव सचदेव ने वकील आशुतोष दुबे की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें इस सीरीज में वकीलों की छवि धूमिल करने का दावा किया गया था.

 

सीरीज के प्रसारण पर पूर्ण रोक लगाने वाली याचिका पर जुलाई में सुनवाई होगी। नेटफ्लिक्स का पक्ष रखने वाले वकील साई कृष्णा राजागोपाल ने अदालत में कहा कि सीरीज के प्रसारण पर पूर्ण रोक संविधान के अधीन दी गई अभिव्यक्ति की आजादी के अधिकार के विरुद्ध होगी। इस दलील के विरुद्ध कहा गया कि ऐसे कई फैसले सुनाए गए हैं जिनमें कहा गया है कि एक वर्ग के रूप में वकीलों की मानहानि नहीं की जा सकती।

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याद दिला दें कि वेब सीरीज के चौथे एपिसोड ‘बंबई में बंबू’ में कहा गया है कि वकील चोर, बदमाश, गुंडे और बलात्कारी होते हैं। इस डायलॉग की वजग से ही पूरा मामला फंसा है। कहा गया है कि ये बातें बेहद बदनाम करने वाली हैं और आम जनता की नजर में कानून के पेशे को लेकर गलत छवि बनाते हैं। दोनों वकीलों का कहना है कि नींदनीय स्टेटमेंट को किसी भी तर्क से सही नहीं कहा जा सकता है और इससे वकीलों को होने वाली क्षति को नहीं मापा जा सकता है।

 

 

 

गौरतलब है कि इससे पहले सीरीज के लेखक व निर्माता निखिल आडवाणी ने इस ब्लैक कॉमेडी सीरीज के फ्लॉप होने का ठीकरा खुद अपनी लिखी कहानी पर ही फोड़ा है। उनका कहना है कि सीरीज की कहानी और बेहतर लिखी जा सकती थी जिससे यह दर्शकों के लिए और ज्यादा आकर्षित होती। इसका समाधान वह सीरीज के अगले सीजन में करेंगे। ज्ञात है कि सीरीज की लेखन टीम में खुद वीर दास भी शामिल थे। निखिल ने बताया कि सीरीज का अगला सीजन शुरू करने से पहले वह कुछ और लेखकों को साथ लेना चाहते हैं ताकि अगले सीजन को बेहतर बनाया जा सके।

 

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