जीएसटी की अधिकतम दर 18 फीसदी होनी चाहिए : चिदंबरम

वस्तु एवं सेवा करनई दिल्ली| पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने गुरुवार को कहा कि वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के अंतर्गत सात या उससे अधिक दरों को रखना ‘जीएसटी का मजाक’ उड़ाना है और कर की दरों को 18 फीसदी के अंदर ही रखना चाहिए। वरिष्ठ कांग्रेसी नेता ने यहां मीडिया को बताया कि 1 जुलाई से जीएसटी को लागू कर दिया गया, जबकि छोटे और मझोले व्यापारी इसके लिए पूरी तरह से तैयार नहीं हो पाए हैं। इसे लागू करने का समय दो महीने के लिए आगे बढ़ाना चाहिए था।

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उन्होंने कहा कि कांग्रेस ‘सच्चे जीएसटी’ के लिए अभियान चलाएगी और बताएगी की पार्टी ने ही अप्रत्यक्ष कर सुधार के इस उपाय की शुरुआत की थी।

चिदंबरम ने कहा कि जीएसटी का मतलब सभी सेवाओं और वस्तुओं पर सभी प्रकार के करों को हटाकर, कर की एक दर से है।

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पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा, “जीएसटी के अंतर्गत 0.25 फीसदी, 3 फीसदी, 5 फीसदी, 12 फीसदी, 28 फीसदी और 40 फीसदी दरें रखी गई है और हो सकता है इसमें अभी और स्लैब शामिल हों, क्योंकि राज्य सरकारों का अपना नजरिया है। ऐसे में हम इसे ‘एक देश एक कर’ शासन कैसे कह सकते हैं।”

उन्होंने कहा कि कांग्रेस की सरकार आने पर वह निश्चित तौर पर इस पर काम करेगी और जीएसटी की सिर्फ तीन दरें होगी, जिसमें अधिकतम दर 18 फीसदी से कम होगी।

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