वर्ल्डकप मैच में ये खिलाड़ी चोटिल हुए , जो आगे होने वाला हैं ये सुनकर सभी टीमें खुश होगी…

16 जून को वर्ल्डकप का एक बड़ा मैच. भारत वर्सेज पाकिस्तान. भारत ने पहले खेलते हुए 336 रन बनाए. पाकिस्तान बैटिंग करने आया. भारत की तरफ से मोर्चा संभालने आए भुवनेश्वर औऱ जसप्रीत बुमराह. मगर पांचवें ओवर की चौथी बॉल पर भारतीय टीम को एक झटका लगा. भुवनेश्वर कुमार के पैर में कुछ खिंचाव आ गया. उनको वापस लौटना पड़ा.

 

 

बतादें की अब टेंशन ये हुई कि भुवनेश्वर के हिस्से के ओवर कौन डालेगा. कोई न कोई पार्ट टाइमर. जिसका नुकसान टीम इंडिया को उठाना पड़ सकता था. मगर अच्छी बात ये रही कि इंडिया ने मैच जीत लिया. वरना भुवनेश्वर का बाहर जाना बहुत खलता.

 

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वहीं अब आईसीसी ने ऐसी स्थिति के लिए इंतजाम कर दिया है. अब अगर इस तरह भुवनेश्वर या कोई भी खिलाड़ी चोटिल होता है तो उसको दूसरे खिलाड़ी से रिप्लेस किया जा सकेगा. वो भी मैच के दौरान ही. खास बात ये होगी कि ये सब्स्टिट्यूट बैटिंग, बॉलिंग और कीपिंग सब कर सकेगा.

देखा जाये तो अभी की तरह नहीं कि बस फील्डिंग करके लौट गए. माने पूरी चल्ला मिलेगी. इसीलिए इस सब्स्टिट्यूट को कन्कशन सब्स्टिट्यूट कहा जाएगा. बस एक बात ध्यान रखने वाली है कि बल्लेबाज के बदले बल्लेबाज ही मिलेगा.

गेंदबाज के बदले गेंदबाज. ये नहीं कि चोटिल हुए धवन और रिप्लेस कर लिया मोहम्मद शमी से.आईसीसी से हरी झंडी मिलने के बाद अब इस नियम का इस्तेमाल सभी तरह के इंटरनैशनल क्रिकेट और फर्स्ट क्लास क्रिकेट में होगा.

मेंस और विमिंस दोनों फॉरमैट में. शुरुआत अगस्त में इंग्लैंड-ऑस्ट्रेलिया के बीच होने वाली एशेज सीरीज से हो जाएगी. लोग मान के चल रहे हैं कि जिस तरह से बॉलर ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड के पास हैं. हो सकता है कुछ ही हफ्तों में इसकी टेस्टिंग भी हो जाए.

वैसे आईसीसी इस नियम का पिछले दो साल से ट्रायल भी कर रहा था. क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया ने सबसे पहले 2016-17 सीजन में कन्कशन सब्स्टिट्यूट के नियम का इस्तेमाल घरेलू वनडे, बिग बैश और महिला बिग बैश सीरीज में किया था.

आईसीसी से इस नियम को स्वीकृति नहीं मिलने के कारण वह शेफील्ड शील्ड और अन्य प्रथम श्रेणी टूर्नामेंट में इसका इस्तेमाल नहीं कर सका था. इंग्लैंड क्रिकेट बोर्ड ने पिछले सीजन में काउंटी में इसे लागू किया था.

वैसे इस तरह के नियम की चर्चा ऑस्ट्रेलिया के पूर्व ओपनर फिलिप ह्यूज के चोट लगने और फिर खत्म होने के बाद से ही होने लगी थी. फिर वर्ल्डकप में एलेक्स कैरी ने सिर पर पट्टी बांधकर खेला. हाशिम अमला चोटिल हुए. इससे इसके पास होने में और तेजी आई.

दरअसल खिलाड़ी रिप्लेस हो या न हो. इसकी परमिशन कौन देगा? तो आईसीसी ने साफ कर दिया है कि कन्कशन सब्स्टिट्यूट पर निर्णय टीम मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव(डॉक्टर) लेगा. और अंतिम मुहर मैच रैफरी लगाएगा.

लेकिन इस नियम को दो साल के लिए ही लागू किया गया है. इसके बाद रिव्यू के आधार पर ही इसे आगे बढ़ाया जाएगा. रिव्यू होना जरूरी भी है. क्योंकि इसके लागू होने के साथ ही इसमें कमियां भी नजर आने लगी हैं.

लेकिन पहली बात ये कि सभी टीमों को एक डॉक्टर अपने साथ रखना होगा. किसी इमरजेंसी सिचुएशन में वो ही पहले टेस्ट करके बताएगा कि प्लेयर खेलने लायक है कि नहीं. सवाल खड़े हो रहे हैं कि क्या गारंटी है कि डॉक्टर मेडिकल कंडीशन पर ही फैसला करेगा. नाकि अपनी टीम को फायदा पहुंचाने वाला निर्णय लेगा. वहीं ये तो सामने आया है रिप्लेसमेंट लाइक फॉर लाइक के आधार पर होगा.

माने बैट्समेन के बदले बैट्समेन. बॉलर के बदले बॉलर. मगर फिर ऐसा तो नहीं होगा कि कोई फास्ट बॉलर चोटिल हो और उसके बदले स्पिनर को ले लिया जाए. क्योंकि तब तक पिच स्पिन करने लगी हो. या फिर बैटिंग कंडीशन को देखते हुए मिडिल ऑर्डर बैट्समेम के बदले ओपनर ले लिया जाए.

लेकिन अभी टीमें 15 खिलाड़ी चुनके चलती हैं. ऐसे लाइक फॉर लाइक नियम के लिए क्या उसे और खिलाड़ी बैकअप में रखने होंगे. जहां ऐसे रिप्लेसमेंट होने में आईसीसी के रिकॉर्ड किस तरह मेंटेन होंगे. ये भी साफ नहीं है. लेकिन आईसीसी को इन सवालों के जवाब तलाशने होंगे. बाकि इस नियम का फिलहाल ज्यादातर बड़े खिलाड़ी स्वागत कर रहे हैं. बाकी ये कितना टिकेगा, ये तो वक्त ही बताएगा.

 

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