आज है वरूथिनी एकादशी, जानिए शुभ मुहूर्त और पूजा की विधि  

आज है वरूथिनी एकादशी व्रत। इस व्रत में भगवान विष्णु के वाराह अवतार की पूजा अर्चना की जाती है।  शास्त्रों के अनुसार जो व्यक्ति विधि-विधान से भगवान विष्णु की पूजा करते हुए एकादशी का व्रत करता है।

Varuthini Ekadashi

रात्रि को जागरण करता है, उसे इस लोक क्या परलोक में भी सुख की प्राप्ति होती है। एकादशी व्रत की शुरुआत दशमी को रात का भोजन करने के बाद शुरू हो जाती है। एकादशी तिथि 1 मई को दोपहर 12 बजे तक रहेगी।

वरूथिनी एकादशी की व्रत कथा : प्राचीन समय में नर्मदा नदी के किनारे मान्धाता नाम के राजा रहते थे। राजा का धर्म निभाने के साथ ही वह जप तप करते रहते थे। साथ ही प्रजा के प्रति दयाभाव रखते थे।

एक बार वह तपस्या में लीन थे तो एक भालू ने उनका पैर चबा लिया और राजा को जंगल की ओर खींचकर ले गया। तब राजा ने विष्णु भगवान से प्रार्थना की। भक्त की पुकार सुनकर पहुंचे विष्णु भगवान ने अपने चक्र से भालू को मार डाला। लेकिन राजा का पैर भालू ने नोचकर खा लिया था। इस बात का राजा को बहुत दुख था।

राजा को दुखी देखकर विष्णु भगवान ने कहा कि राजन भालू ने जो तुम्हारा पैर काटा है। वह तुम्हारे पूर्व जन्म का पाप है, जिसकी सजा तुम्हें इस जन्म में भुगतनी पड़ रही है। राजा ने इससे मुक्ति पाने का उपाय पूछा तो भगवान विष्णु ने कहा कि राजन, तुम मेरी वाराह अवतार मूर्ति की पूजा वरूथिनी एकादशी का व्रत धारण करके करो। इससे तुम्हारे पाप कट जाएंगे और व्रत के प्रभाव से दोबारा अंगों वाले हो जाआगे। इसके बाद राजा ने वरुथिनी एकादशी का व्रत धारण किया तो उनका पैर फिर से सही हो गया

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