वर्चुअल करेंसी के ऑनलाइन लेनदेन पर रोक संभव नहीं
नई दिल्ली : केंद्र सरकार फिलहाल बिटक्वाइन जैसी वर्चुअल करेंसी के ऑनलाइन लेनदेन पर रोक लगाने की स्थिति में नहीं है। इस मामले में सरकार के भीतर हुए विमर्श का निचोड़ यही है कि ऐसी करेंसी की ऑनलाइन खरीद-फरोख्त पर नियंत्रण संभव नहीं है। हालांकि अभी सरकार ने इस पर कोई अंतिम फैसला नहीं लिया है। लेकिन एक अंतर मंत्रलयी समिति में इस पर हुए विचार-विमर्श में सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने यह स्पष्ट कर दिया है कि इंटरनेट के जरिये होने वाले सौदों पर रोक लगाना तकनीकी तौर पर संभव नहीं है।
दुनिया में करीब 90 से अधिक वर्चुअल करेंसी चलन में हैं। जनवरी, 2015 तक 137 लाख बिटक्वाइन सकरुलेशन में थी। इनकी बाजार कीमत 2.7 अरब डॉलर है।
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बिटक्वाइन समेत तमाम तरह की वर्चुअल करेंसी के भविष्य पर विचार के लिए आर्थिक मामलों के विभाग ने एक अंतर मंत्रलयी समिति का गठन किया था। इस तरह की डिजिटल मुद्राओं के लेनदेन पर रोक लगाने की संभावनाओं पर कमेटी की अप्रैल से अब तक चार बैठकें हो चुकी हैं।
मंत्रालय ने स्पष्ट कर दिया है कि यदि सरकार वर्चुअल क्रिप्टो करेंसी (वीसीसी) पर रोक लगाने का फैसला लेती है तो इनके स्टेकहोल्डर के वेब पोर्टल (मसलन ऑनलाइन एक्सचेंज, ऑनलाइन वॉलेट वगैरह) को उनके आइएसपी के जरिये तकनीकी तौर पर ब्लॉक या अक्षम ही किया जा सकता है। लेकिन इंटरनेट पर इस तरह के ऑनलाइन सौदों को पूरी तरह से रोकना तकनीकी तौर पर संभव नहीं होगा। मंत्रालय का मानना है कि ब्लॉकचेन के स्तर पर वर्चुअल करेंसी के सौदे करने वालों की ट्रैकिंग भी तकनीकी लिहाज से मुमकिन नहीं है।
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सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय की राय है कि सरकार इन करेंसियों में सौदे कराने वाले एक्सचेंजों, वॉलेट, पंजीकृत ग्राहकों को ही केवल नियंत्रित ही कर सकती है। अब तक के अनुभव के आधार पर वीसीसी के स्वामित्व से यह प्रमाणित होता है कि यह ब्लॉकचेन के स्वरूप में है। किसी का व्यक्तिगत विवरण किसी भी ब्लॉकचेन में उपलब्ध नहीं होता। इसलिए इनके सौदों को डिजिटल आधार पर इनके बारे में पता लगाना मुश्किल होता है।