लाल किले से जुडी ये 10 रोचक बातें आपको करेंगी हैरान
नई दिल्ली। स्वतंत्रता दिवस मनाया जाए और लाल किले का जिक्र न हो ऐसा असंभव है। लाल रंग की यह खूबसूरत चट्टान जैसी मजबूत इमारत अपने भीतर इतिहास समेटे हुए है। हर वर्ष 15 अगस्त (स्वतंत्रता दिवस) के दिन प्रधानमंत्री लाल किले के प्राचीर से देश को संबोधित करते है। आइये आज जानते हैं लाल किले के बारे में कुछ तथ्य।
शाहजहां ने बनवाया था लाल किला
लाल किला मुगल बादशाह शाहजहां द्वारा बनवाया गया। शाहजहां ने 1638 में जब अपनी राजधानी को आगरा से दिल्ली स्थानांतरित करने का निर्णय लिया तभी लाल किले का निर्माण करवाया।
10 साल में पूरा हुआ निर्माण
लाल किले के आर्किटेक्ट उस्ताद अहमद लाहौरी और उस्ताद हामिद थे। उन्होंने इसके निर्माण की शुरुआत 1638 में की। इसका निर्माण कार्य 1648 में पूरा हुआ। यानि इसे बनने में कुल 10 साल लगे। उस समय इसे किला-ए-मुबारक कहा जाता था।
तकरीबन एक करोड़ रुपये आई लागत
लालकिले में लगाए गए लाल बलुआ पत्थर बैलगाड़ियों पर लादकर धौलपुर से मंगाया गया था। इसके निर्माण की लागत एक करोड़ रुपये आयी थी। लाल किला लगभग डेढ़ किलोमीटर की परिधि में फैला हुआ है। पूर्व से पश्चिम 1800 फुट और उत्तर से दक्षिण 3200 फुट फैला है।
बंद करा दिए गए दो दरवाजे
लाल किले के चार दरवाजे थे लाहौरी दरवाजा, काबुली दरवाजा, कलकत्ता दरवाजा, कश्मीरी दरवाजा, बाद में कलकत्ता दरवाजा व कश्मीरी दरवाजे बंद करा दिए गए।
नादिरशाह लूट ले गया था तख्त-ए-ताऊस
लाल किले में मोती महल, मोती मस्जिद, दीवान-ए- खास, दीवान-ए-आम, रंग महल, सावन-भादों, मीना बाज़ार आदि बनाये गए थे। दीवान-ए-खास में तख्त-ए-ताऊस पर शाहजहां बैठते थे। कहते हैं यह कीमती हीरे जवाहरात से जड़ा हुआ था। इसी सिंहासन में कोहिनूर हीरे के जड़ने की बात भी आती है। ईरान का शासक नादिरशाह तख्त-ए-ताऊस को लूट कर ले गया।
बहादुरशाह जफ़र से अंग्रेजों ने छीना था लालकिला
लालकिले से शासन करने वाला अंतिम बादशाह बहादुरशाह जफर था। 1857 के स्वतंत्रता संग्राम के दौरान बहादुर शाह जफर को अंग्रेजों ने पराजित कर कैद कर लिया और बाद में उन्हें रंगून भेज दिया।
अंग्रेजों ने छावनी के रूप में प्रयोग किया था किला
1857 में अंग्रेजों ने लाल किले पर अपना कब्ज़ा जमा लिया और इसे ब्रिटिश सेना का मुख्यालय बनाया गया। इस किले के बगीचों व रिहाइशी स्थलों को नष्ट कर मुख्य छावनी के रूप में प्रयोग किया गया।
INA अफसरों पर अंग्रेजों ने चलाया मुकदमा
वर्ष 1945 में लाल किले में आजाद हिंद फौज (आईएनए) के मेजर जनरल शाहनवाज खान, कर्नल गुरबख्श सिंह ढिल्लो और कर्नल प्रेम सहगल समेत अनेक अधिकारियों पर अंग्रेजों ने मुकदमा चलाया। अंग्रेजों का मानना था कि लोग इससे डरेंगे, लेकिन हुआ उल्टा। इस ऐतिहासिक मुकदमे ने देश को एक सूत्र में बांध दिया।
1947 में भारतीय सेना का नियंत्रण
1947 में स्वतंत्रता के बाद भारतीय सेना ने इस किले को नियंत्रण में ले लिया। दिसम्बर 2003 में, भारतीय सेना ने इसे भारतीय पर्यटन प्राधिकारियों को सौंप दिया।
आतंकी हमला भी झेल चुका है किला
दिसंबर 2000 में लश्कर-ए-तैयबा के आतंकियों द्वारा लाल किले पर हमला भी किया गया था, जिसमें दो सैनिक व एक नागरिक की मौत हुई।