लालू की गणित के आगे आखिर क्यों झुकने पर मजबूर हुए राहुल, सिर्फ 9 सीटों पर लड़ेंगे चुनाव

नई दिल्ली। आने वाले चुनावों को देखते हुए सभी पार्टियां अपने आपको मजबूत करने में लग गई हैं इसी क्रम में बिहार में भाजपा के खिलाफ किलाबंदी की पूरी तैयारी कर ली गई है। यहां किलाबंदी की गणित में राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव ने कांग्रेस को गठबंधन के लिए अपनी ओर झुकने के लिए मजबूर कर दिया है।

इससे पहले कहा जा रहा था कि राजद और कांग्रेस में सीटों के बंटवारे को लेकर बड़ा पेंच फंसा हुआ था। इसमें कांग्रेस के नेता 11 सीटों पर दावा कर रही थी। लेकिन भाजपा को शिकस्त देने के उद्देश्य से लालू का फैसला ही उन्हें मानना पड़ा। जिसके अनुसार अब लालू यादव की पार्टी राजद सबसे ज्यादा 20 सीटों पर चुनाव लड़ेगी, जबकि कांग्रेस- नौ, रालोसपा- पांच और वीआईपी तीन सीटों पर चुनाव लड़ेगी। वहीं राजद ने अपनी सीटों में से एक सीट सीपीआई माले को देने की बात कही है।

खबरों के मुताबिक़ बिहार में महागठबंधन के घटक दलों के बीच सीटों का बंटवारा हो गया है। इसका औपचारिक ऐलान शुक्रवार (22 मार्च) को पटना में सभी घटक दलों के नेताओं की मौजूदगी में किया गया।

दरअसल, जातीय गोलबंदी के माहिर खिलाड़ी लालू ने कांग्रेस को साफ संकेत दिया कि जबतक राज्य में बड़े पैमाने पर जातीय और सामाजिक ध्रुवीकरण नहीं होगा, तब तक भाजपा को हरा पाना मुश्किल है।

बता दें राजद को ‘माय’ (MY) समीकरण की पार्टी कहा जाता रहा है। लालू ने इसी समीकरण के बल पर राज्य में 15 साल तक शासन किया। मौजूदा सियासी परिस्थितियों में कहा जा रहा है कि फिर से इस सामाजिक समीकरण का झुकाव राजद की तरफ है।

यानी आंकड़ों के लिहाज से देखें तो करीब 30 फीसदी (16 फीसदी मुस्लिम और 14 फीसदी यादव) वोटरों का झुकाव राजद की तरफ है।

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वहीं मौजूदा समय में कांग्रेस पार्टी के पास राज्य में किसी खास जाति या समुदाय का वोट बैंक नहीं रहा, इसलिए उसे लालू की शर्तों के आगे झुकना पड़ा है।

हालांकि, हाल के दिनों में भाजपा से नाराज लोगों का झुकाव कांग्रेस की तरफ तो हुआ है, लेकिन वैसे नेता जिस समाज से आते हैं, उनका झुकाव अभी भी भाजपा की तरफ ही है

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