लगातार हो रही बारिश से लाल निशान के पार ठहरी राप्ती नदी….

जिले में लगातार हो रही बारिश से राप्ती नदी लाल निशान 104.620 से 19 सेंटीमीटर ऊपर बह रही है। नदी का जलस्तर 104.810 पर ठहरा हुआ है। राप्ती के बढ़े जलस्तर को देखते हुए प्रशासन ने अलर्ट जारी कर दिया है। उतरौला के गांवों में नदी की कटान तेज होने से ग्रामीणों की धुकधुकी बढ़ गई है। उधर नेपाल से पानी छोड़ने के बाद तराई के करीब 30 गांवों में बाढ़ का पानी भर गया है। बाढ़ से बचाव के लिए जिला प्रशासन ने कमर कस ली है।

एसडीएम ने लिया गौरा थाना का जायजा : एसडीएम सदर डॉ. नागेंद्र नाथ यादव व क्षेत्रीधिकारी नगर राधारमण सिंह ने रविवार को गौरा चौराहा थाना परिसर का जायजा लिया। परिसर में जलभराव से उत्पन्न समस्या से पुलिसकर्मियों एवं शासकीय संपत्ति के बचाव के लिए प्रभावी उपाय करने के निर्देश दिए। एसडीएम व सीओ सिटी ने गौरा क्षेत्र के बाढ़ ग्रस्त इलाकों का भी भ्रमण किया। बाढ़ के दौरान होने वाली समस्याओं के निस्तारण के लिए अन्य विभागों के साथ प्रभावी समन्वय बनाने व बाढ़ चौकियों पर रोस्टर के हिसाब से पुलिस ड्यूटी लगाने के निर्देश दिए।

तराई के गांवों में बढ़ी बीमारी की आशंका : पहाड़ी नाला हेंगहा, जमधरा, धोबीनिया, कचनी, फोहरी, गौरिया में पानी का बहाव धीरे-धीरे कम हो रहा है। तराई क्षेत्र के लेंगड़ी, कमदी, मदारगढ़, जुम्मनडीह, फकीरीडीह, लैबुड्डी, बजरडीह, परसहवा, ठड़क्की, बनघुसरी, इटैहिया, मकुनहवा, भवनियापुर, भौरही, लखनीपुर, अकबरपुर, भुसैलिया, काशीपुर, लौकहवा, पिट्ठा, खैरपुरवा, नरायनापुर, प्रतापपुर, बुड़ंतपुर, कहराड़ीह गांवों में बाढ़ का पानी कम हो रहा है। जिससे जलजनित बीमारियों के फैलने की आशंका बढ़ गई है। इन गांवों के किसानों की फसलें भी पानी में डूब गईं हैं।

बनाए गए 18 बाढ़ राहत केंद्र : जिलाधिकारी कृष्णा करुणेश ने बताया कि बाढ़ से बचाव के लिए जिले में 31 बाढ़ चौकियां व 18 बाढ़ राहत केंद्र बनाए गए हैं। इन पर 24 घंटे कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई गई है। जो पल-पल की गतिविधियों की जानकारी देंगे। कर्मचारियों को लाइफ जैकेट, सर्च लाइट, रिग पाइप, जरकिन, रस्सा समेत अन्य बचाव के संसाधन उपलब्ध कराए गए हैं। एक बटालियन पीएसी व एसडीआरएफ टीम कैंप कर रही है।

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