रेटिंग एजेंसी ने उठाए नोटबंदी पर सवाल, जनता को बेवक़ूफ़ बना रही मोदी सरकार!
नई दिल्ली| केंद्रीय सांख्यिकी संगठन (सीएसओ) द्वारा जारी सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के अग्रिम अनुमान में गंभीर गलतियां हैं, क्योंकि इसमें नोटबंदी के बाद के महीनों का आंकड़ा ही शामिल नहीं है। घरेलू रेटिंग एजेंसी आईसीआरए का यह कहना है।
एजेंसी ने शुक्रवार को वित्त वर्ष 2016-17 के लिए जीडीपी के 6.8 फीसदी रहने का पूर्वानुमान लगाया है।
आईसीआरए ने एक बयान में कहा, “2016 के मध्य नबंवर में नोटबंदी के बाद से अर्थव्यवस्था पर जो असर पड़ा है। उसे साल भर के अनुमान में शामिल करना बेहद जरूरी है। क्योंकि नोटबंदी से नकदी पर निर्भर क्षेत्रों जैसे निर्माण क्षेत्र आदि को काफी नुकसान पहुंचा है।”
इसमें कहा गया कि सीएसओ द्वारा जारी आंकड़े आश्चर्यजनक हैं, क्योंकि उन्होंने केवल पहली छमाही के आंकड़ों के आधार पर ही यह निष्कर्ष निकाला है।
सीएसओ ने देश के जीडीपी की वृद्धि दर के वित्त वर्ष 2016-17 में 7.1 फीसदी रहने का पूर्वानुमान लगाया है, जबकि वित्त वर्ष 2015-16 में यह 7.6 फीसदी थी।
सीएसओ के अनुमान के मुताबिक वास्तविक जीवीए का अनुमानित विकास दर समीक्षाधीन वित्त वर्ष में 7 फीसदी रहेगी, जबकि वित्त वर्ष 2015-16 में यह 7.2 फीसदी थी।
आईसीआरए ने कहा, “हालांकि हमारी उम्मीद है कि जीडीपी और जीवीए की वित्त वर्ष 2017 में वृद्धि दर क्रमश: 6.8 फीसदी और 6.6 फीसदी रहेगी। जोकि पहले के लगाए गए अनुमान से कम है।”
सीएसओ ने जीडीपी का अनुमान वित्त वर्ष 2016-17 के लिए 7.1 फीसदी लगाया है जबकि वित्त वर्ष 2015-16 में यह 7.6 फीसदी था।
देश के मुख्य सांख्यिकीविद टी. सी. ए. अनंत ने शुक्रवार को कहा था कि सालाना राष्ट्रीय आय की गणना में नोटबंदी को इसलिए शामिल नहीं किया गया, क्योंकि यह सामान्य कारक नहीं है।
उन्होंने कहा, “जमा में हुई वृद्धि एक बाहरी कारक हैं, इसलिए नबंवर के आंकड़े इस गणना में शामिल नहीं किए गए हैं।”
सीएसओ ने सात महीनों के आंकड़े के आधार पर समूचे वित्त वर्ष की गणना की है।
जीवीए में 2016-17 के लिए उत्पादन क्षेत्र की वृद्धि दर के 7.4 फीसदी रहने का अनुमान लगाया गया है, जबकि वित्त वर्ष 2015-16 के दौरान यह 9.3 फीसदी थी।
कृषि, वानिकी और मछली पकड़ने के क्षेत्र की वृद्धि दर 4.1 फीसदी होने का अनुमान है, जबकि 2015-16 के दौरान यह 1.2 फीसदी थी।
वित्त, बीमा, रियल स्टेट और पेशेवर सेवाओं के क्षेत्र के वित्त वर्ष 2016-17 के दौरान 9.0 फीसदी की रफ्तार से बढ़ने का अनुमान है जबकि 2015-16 के दौरान यह 10.3 फीसदी थी।
जीडीपी के अग्रिम पूवार्नुमान सामान्य तौर पर फरवरी में जारी किए जाते हैं, लेकिन अब सरकार ने एक फरवरी को बजट प्रस्तुत करने की योजना बनाई है, इसलिए ये जल्दी जारी किए गए हैं।
वहीं, आईसीआर का कहना है, “विभिन्न प्रवृत्तियों को देखते हुए हमारा अनुमान है कि वित्त वर्ष 2016-17 में अग्रिम अनुमान से कम वृद्धि दर रहेगी और यह उत्पादन, कृषि, बिजली और निर्माण क्षेत्रों में अनुमान से कहीं अधिक कम होगी।”