रिसर्च में हुआ खुलासा ,  कुपोषण के मामले में बिहार सबसे आगे…

देश में हर साल 7 सितम्बर को नेशनल न्यूट्रीशन मनाया जाता हैं. वहीं बतादे की मुख्य उद्देश्य कुपोषण को लेकर लोगो को जागरूक करना हैं. वहीं देखा जाये तो देश के लिए मौजूदा समय में ये एक सबसे बड़ी समस्या हैं.

 

खबरों के मुताबिक अगर भारत के संदर्भ में देखें तो तमाम कोशिशों के बावजूद आंकड़े सोचने के लिए मजबूर करते हैं. वहीं केंद्र सरकार भारत को कुपोषण मुक्त करने के लिए तमाम कोशिशें कर रही हैं. सरकार ने राष्ट्रीय पोषण मिशन का नाम बदलकर ‘पोषण अभियान’ कर दिया है. महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने कुपोषण मुक्त भारत का लक्ष्य 2022 तक हासिल करने का नारा दिया है.

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लेकिन भारत में कुपोषण की इतनी बड़ी समस्या है कि इससे निपटना आसान नहीं है. आज लगभग हर तीसरा बच्चा कुपोषित है. क्योंकि स्टंटिंग और कुपोषण की शुरुआत बच्चे से नहीं बल्कि गर्भवती माता से होती है.

जहां भारत में 5 साल से कम उम्र के कुपोषित बच्चे 35 प्रतिशत हैं. इनमें भी बिहार और उत्तर प्रदेश सबसे आगे हैं. उसके बाद झारखंड, मेघालय और मध्य प्रदेश का नंबर है.

वहीं मध्य प्रदेश में 5 साल से छोटी उम्र के 42 फीसद बच्चे कुपोषित हैं तो बिहार में यह फीसद 48.3 है. पश्चिम बंगाल में कुपोषण के मामले तेजी से बढ़े हैं. 2005 के मुकाबले NFHS-4 सर्वे में करीब 4.5 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई, जो कि एक चिंता का विषय है.

दरअसल कुपोषण के सबसे ज्यादा मामले बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखंड, मेघालय और मध्य प्रदेश में पाए जाते हैं. नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-4 के अनुसान बिहार में 48.3 फीसदी, उत्तर प्रदेश में 46.3 फीसदी, झारखंड में 45.3 फीसदी, मेघालय में 43.8 और मध्य प्रदेश में 42 फीसदी कुपोषित बच्चे हैं. जबकि में भारत में यह आंकड़ा 35.7 फीसद का है.

 

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