इस जगह पर मिलता है अनेक संस्कृतियों और धर्मों का संगम, राख से हुआ है जन्म

हिमाचल प्रदेश खूबसूरती के साथ एडवेंचर के लिए काफी फेमस है. यहां पर तीर्थ स्थल भी बहुत शानदार हैं. यह जगह सभी उम्र के लोगों के लिए अच्छी है. वैसे तो कई जगह घूमने के लिए मशहूर हैं. लेकिन हिमाचल के रिवालसर झील की जो बात है वह किसी और जगह की नहीं है.

 रिवालसर झील

हिमाचल के मंडी जिले से 24 किमी दूर रिवालसर कस्बे में यह झील है. यह कस्बा झील बहुत ही शांत है. इस कस्बे की पहचान यह झील ही है. इस जगह अनेक संस्कृतियों और धर्मों का संगम देखने को मिलता है. इस झील की उत्पत्ति राख से हुई थी.

यह बौद्ध धर्म के तीर्थस्थल के रूप में भी जाना जाता है. यह बौद्ध धर्म का एक पवित्र स्थल है. इसके साथ ही यह सिख धर्म और हिन्दू धर्म के लोगों के लिए भी एक पवित्र नगरी है.

रिवालसर झील की पौराणिक कथा

इस जगह से पौराणिक कथा जुड़ी है. इस कथा के अनुसार मंडी के राजा अर्शधर को जब यह पता चला कि उनकी पुत्री ने बौद्ध गुरु पद्मसंभव से शिक्षा ली है तो उसने गुरु पद्मसंभव को आग में जला देने का आदेश दिया. उस समय बौद्ध धर्म अधिक प्रचलित नहीं था और इसे शक की निगाह से देखा जाता था. इसके लिए बहुत बड़ी चिता बनाई गई यह सात दिन तक जलती रही.

उसके बाद वहां एक झील उत्पन्न हो गई. इस झील से कमल के फूल से गुरु पद्मसंभव एक सोलह वर्ष के लड़के के रूप में प्रकट हुए. इसके बाद राजा ने अपनी हरकत की माफी मांगी और पश्चाताप के लिए अपनी बेटी का विवाह गुरु पद्मसम्भव से कर दिया.

रिवाल्सर के मुख्य आकर्षण

गुरु रिनपोचे पद्मसम्भव की विशाल मूर्ति बहुत भव्य है. यह मूर्ति रिवालसर की पहचान के तौर पर जानी जाती है. ऐसी मान्यता है कि रिवालसर झील में एक किनारे से दूसरे किनारे तक चलने वाले टीलों में गुरु पद्मसम्भव की आत्मा का निवास है.

रिवालसर के केंद्र में स्थित रिवालसर सरोवर जिसे कमल सरोवर भी कहा जाता है. इस झील का नजारा देखने लायक है.

गुरु पद्मसम्भव द्वारा स्थापित ‘मानी-पानी’ नामक बौद्ध मठ मुख्य केंद्र हैं.

 

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