‘महामहिम’ ने दिया कृषि को उन्नत बनाने का ‘अचूक मंत्र’, किसानों का होगा कायाकल्प

चंडीगढ़ राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने शनिवार को कहा कि नई प्रौद्योगिकी के साथ देश में कृषि को उन्नत बनाने की आवश्यकता है, ताकि मेहनतकश किसानों को उसका लाभ मिले।

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद

राष्ट्रपति ने यहां भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) द्वारा आयोजित 13 वें अंतरराष्ट्रीय कृषि मेला-एग्रोटेक इंडिया-2018 का उद्घाटन किया।

इस मौके पर उन्होंने कहा, “भारतीय कृषि को समकालीन प्रौद्योगिकी, जलवायु परिवर्तन से सुरक्षा, कीमतों में आने वाले उतार-चढ़ाव और मांग में बदलाव के आघातों और स्थायी निवेश व व्यवसाय के साथ साझेदारी के अनुरूप खुद में बदलाव लाना होगा।”

राष्ट्रपति ने कहा कि इन सब से कृषि उत्पादों के दाम में वृद्धि होगी और प्रपिस्पर्धा बढ़ेगी, जिससे आय में बढ़ोतरी होगी। उन्होंने कहा कि सरकार इन क्षेत्रों पर ध्यान दे रही है क्योंकि कृषि को उन्नत बनाने की चुनौती है।

कोविंद ने कहा, “भारतीय किसानों ने यह साबित किया है कि बिना किसी भय के नवाचार, नई प्रौद्योगिकी और वैज्ञानिक इनपुट को उल्लेखनीय ढंग से ग्रहण करते हैं।”

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उन्होंने कहा कि किसानों ने जोखिम को स्वीकार करने और उसे अवसर में बदलने में साहस का परिचय दिया है, जिसके फलस्वरूप भारत प्रमुख कृषि और संबंधित उत्पाद, जैसे- चावल, समुद्री उत्पाद, फल, सब्जियों और पूलों के निर्यातक के रूप में उभरा है। उन्होंने कहा, “हमारे किसान कॉटन जैसी वाणिज्यिक फसलों की आपूर्ति दुनिया के अन्य देशों को करते हैं।”

कोविंद ने कहा, “कृषि महज पेशा नहीं है। यह परंपरा और जीवन-पद्धति है। हजारों वर्षो से भारत की पहचान मुख्य रूप से कृषि से होती रही है। सिंधु घाटी में हमारे पूर्वज खाद्यान्नों की खेती करते थे। आज भी कृषि के क्षेत्र में हमारे कार्यबल के 50 फीसदी लोगों को रोजगार मिलता है और देश के सकल घरेलू उत्पाद में इसका 15 फीसदी योगदान है। ”

उन्होंने कहा कि सार्वजनिक और निजी साझेदारी से कृषि क्षेत्र का आधुनिकीकरण हो सकता है जिससे छोटे किसानों को काफी फायदा होगा।

राष्ट्रपति ने कृषि अवशेष जलाने को लेकर चिंता जाहिर की और कहा कि इससे प्रदूषण होता है।

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उन्होंने कहा, “आज हम कृषि अवशेष के निपटान और भूसे व पराली को सुरक्षित व स्वच्छ तरीके से हटाने की समस्या से जूझ रहे हैं। इनको जलाने से प्रदूषण होता है, जिससे छोटे-छोटे बच्चे भी प्रभावित होते हैं। प्रदेशों की सरकारों, कुशल व विशाल हृदय वाले किसान व अन्य हितधारक समेत हम सबको इसका समाधान तलाशना है। इसमें संदेह नहीं कि प्रौद्योगिकी से इसका समाधान तलाशने में मदद मिलेगी।”

इस मौके पर केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्री राधामोहन सिंह, खाद्य प्रसंस्करण मंत्री हरसिमरत कौर बादल, पंजाब के राज्यपाल वी. पी. सिंह बदनोर, हरियाणा के राज्यपाल सत्यदेव नारायण आर्य और हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर भी मौजूद थे।

सीआईआई एग्रो टेक मेले में इस बार करीब 158 देसी और 37 विदेशी कंपनियों ने अपनी प्रदर्शनी लगाई है।

सीआईसीई के अध्यक्ष राकेश भारती मित्तल ने कहा, “हमारे किसानों ने खाद्य सुरक्षा के लक्ष्य को पूरा किया है और खेती को अब धन सृजन के औजार के रूप में देखा जाना चाहिए।”

राधामोहन सिंह ने कहा, “हमने कृषि क्षेत्र में निवेश को दोगुना बढ़ाकर सालाना 450 करोड़ रुपये कर दिया है।”

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