आजादी के 70 साल बाद हाईकोर्ट ने दिया राष्ट्रगीत की भाषा पता लगाने का आदेश
चेन्नई। भारत को आजादी में 70 साल होने को हैं और स्वतंत्रता के बाद से ही ‘वंदे मातरम्’ देश का राष्ट्रगीत बन गया। लेकिन शायद कभी किसी ने ये जाने की कोशिश नहीं की कि आखिर हमारा राष्ट्रगीत ‘वंदे मातरम्’ किस भाषा में लिखा गया है? राष्ट्रगीत की भाषा के बारे में कहीं कहा जाता है कि यह संस्कृत में लिखा गया है तो कहीं कहा गया कि ये बांग्ला भाषा में लिखा गया है लेकिन आज तक इसका कोई अधिकारिक रिकॉर्ड सामने नहीं आया। शायद ये सवाल किसी के सामने आता भी नहीं। अगर ये मामला मद्रास हाईकोर्ट में न उठता।
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दरअसल, यह सावल के. वीरमणि नाम व्यक्ति ने उठाया है। वीरमणि एक सरकारी स्कूल में बी.टी असिस्टेंट की नौकरी के लिए इन्टरव्यू देने गए थे। वहां पर इन्टरव्यू में वीरमणि से पूछा गया कि राष्ट्रगीत ‘वन्दे मातरम्’ किस भाषा में लिखा गया है? इस सवाल का जवाब वीरमणि ने बांग्ला दिया।
इन्टरव्यू लेने वाले पैनल ने इस उत्तर को ग़लत बताया। उनका कहना था कि ‘वन्दे मातरम्’ संस्कृत में लिखा गया। इसके बाद वीरमणि इस मामले को हाईकोर्ट ले कर चले गए।
वीरमणि ने कहा कि उन्होंने जिस किताब को पढ़कर उत्तर दिया है, उसमें लिखा गया है कि ‘वंदे मातरम्’ पहले बांग्ला में लिखा गया था, फिर उसका अनुवाद संस्कृत में किया गया।
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अदालत में मामला जाने के बाद वीरमणि के वकील ने दलील देते हुए कहा कि ‘वंदे मातरम्’ बांग्ला और संस्कृत दोनों में लिखा गया है। जबकि सरकारी वकील का कहना था कि ‘वंदे मातरम्’ सिर्फ़ संस्कृत में लिखा गया है।
अदालत ने एक अंतरिम आदेश पारित किया और सही जवाब का पता लगाने का निर्देश दिया है। इस मामले का फ़ैसला 11 जुलाई को आएगा और उसी दिन देशवासियों को पता चल जाएगा कि आखिर देश का राष्ट्रीय गीत किस भाषा में लिखा गया था।
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