SC ने 17 साल बाद ख़त्म किया बिहार का ‘क्रिकेट वनवास’, रणजी में खेलने की दी इजाजत

बिहार के क्रिकेटनई दिल्ली। सर्वोच्च न्यायालय ने गुरुवार को कहा कि बिहार के क्रिकेट टीम बिहार क्रिकेट एसोसिएशन (बीसीए) के तहत रणजी ट्रॉफी और अन्य घरेलू टूर्नामेंटों में हिस्सा लेगी। प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति ए.एम. खानविलकर और न्यायमूर्ति डी. वाई. चंद्रचूड़ की पीठ ने कहा कि क्रिकेट के हितों को ध्यान में रखते हुए यह फैसला लिया गया है।

बीसीए के आलोक वर्मा ने अदालत से कहा था कि 15 नवम्बर, 2000 को झारखंड के गठन के बाद और राज्य के विभाजन के बाद से बिहार को रणजी ट्रॉफी, दलीप ट्रॉफी और किसी अन्य घरेलू टूर्नामेंट में खेलने का अवसर नहीं मिला है।

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वर्मा ने कहा कि घरेलू क्रिकेट टूर्नामेंटों से बिहार की अनुपस्थिति के कारण खिलाड़ियों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

वर्मा ने कहा कि बिहार के राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेता लालू प्रसाद के बेटे तेजस्वी यादव झारखंड के लिए खेलते हैं।

भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) की ओर से वरिष्ठ वकील शेखर नापहाडे ने अदालत को बताया कि जमशेदपुर में मुख्यालय होने के कारण बीसीए की सदस्यता झारखंड क्रिकेट एसोसिएशन को मिल गई, जिसे बीसीसीआई ने मान लिया।

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उन्होंने अदालत को बताया कि बिहार क्रिकेट संघ को एसोसिएट सदस्य के रूप में मान्यता मिली है और 2018 में घरेलू टूर्नामेंटों में हिस्सा लेने के लिए तैयार भी है।

इस पर मुख्य न्यायाधीश मिश्रा ने कहा, “हम आपके बयान को दर्ज करेंगे।”

नापहाडे ने कहा कि बीसीए के तहत टूर्नामेंटों में हिस्सा लेने के लिए बिहार को कई अन्य औपचारिकताओं को पूरा करना होगा।

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