राजनाथ बोले, कश्‍मीर समस्‍या का हल प्रदर्शन से नहीं बातचीत से ही संभव

राजनाथलखनऊ । केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह का कहना है कि कश्‍मीर समस्‍या का समाधान प्रदर्शन के माध्‍यम से नहीं हो सकता है। उन्‍होंने कहा कि वार्ता से ही वहां की समस्‍या हल हो सकेगी।

लखनऊ विश्‍वविद्यालय में शनिवार को आयोजित कार्यक्रम को केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह संबोधि‍त कर रहे थे। इस मौके पर बतौर मुख्‍य अतिथि उन्‍होंने छत्रपति शिवाजी महाराज की मूर्ति का अनावरण किया। कार्यक्रम की अध्‍यक्षता यूपी के राज्‍यपाल राम नाईक ने की। केंद्रीय गृहमंत्री ने कहा कि आज कश्मीर में छोटे-छोटे बच्चों के हाथ में पत्थर है जबकि उनके हाथ में कलम और कंप्यूटर होना चाहिए।

उन्‍होंने कहा कि कश्मीर की जमीन के साथ ही वहां के लोगों को भी पूरा प्यार देश करता है। केंद्रीय गृहमंत्री ने वहां के नवयुवकों से किसी भी तरह का भेदभाव नहीं करने की बात कहते हुए कहा कि जम्‍मू-कश्‍मीर में बाढ़ के समय हमारे सैनिकों ने उन लोगों की रक्षा करने में दिन-रात एक कर दिया था। उन्‍होंने देश की सरहदों की सुरक्षा में तैनात सैनिकों की तारीफ करते हुए कहा कि जब सेना का कोई जवान घायल होता है तो हमलोग रात को चैन से सो नहीं पाते हैं। उन्‍होंने कहा कि हिन्‍दुस्‍तान एक था और एक रहेगा। उन्‍होंने कश्‍मीर में शांति व्यवस्था बहाल करने की अपील करते हुए कहा कि दुनिया की कोई ताकत हमें धर्म के नाम पर बांट नहीं पाएगी।

शिवाजी संकुचित मन के नहीं थे

केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने यहां कहा कि छत्रपति शिवाजी ने राष्ट्रीय चेतना को नई चेतना दी। उनकी सेना में हिंदू और मुस्लिम दोनों थे। यदि वह संकुचित मन के होते तो मुस्लिम सैनिक न रखते।
उन्होंने कहा शिवाजी से चुनौतियों का सामना करने की प्रेरणा मिलती है। आध्यात्मिक मूल्यों के प्रति शिवाजी की गहरी आस्था थी। बच्चों और महिलाओं के प्रति उनका आचरण अनुकरणीय है।

राजनाथ ने कहा कि हिंदुस्तान एक था, एक है और एक रहेगा। राजनीतिक स्वार्थ के लिए धर्म और जाति के आधार पर लोगों को बांटना उचित नहीं है।

राज्यपाल राम नाईक ने कहा कि छत्रपति शिवाजी को विश्व के महान योद्धा के रूप में जाना जाता है। उनमें सबको जोड़ने की चुंबकीय शक्ति थी। शिवाजी सुशासन के पक्षधर थे। उन्होंने राष्ट्रहित में कभी परिवार का मोह नहीं किया। जोखिम लेना शिवाजी की विशेषता थी।

राज्यपाल ने छत्रपति शिवाजी की प्रतिमा बनने वाले शिल्पकार उत्तम पचारणे की सराहना की और कहा, पचारणे द्वारा बनाई गई शिवाजी की प्रतिमा वास्तव में उंगली की कला और हृदय के भाव की जीती जागती मिसाल है।

उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि जब लखनऊ विश्वविद्यालय शताब्दी वर्ष की ओर जा रहा है, ऐसे में शिवाजी की प्रतिमा राष्ट्रभक्ति की सत्त प्रेरणा देती रहेगी। कार्यक्रम में कुलपति, लखनऊ विश्वविद्यालय डॉ. एसबी निमसे ने भी अपने विचार रखें।

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