ये शख्स मशीन नहीं सिर्फ हाथ से बनाता था AK-47, जो लेती थी करीब 2500 लोगों की जान…

आपने एके-47राइफल है का नाम सुना है? सुना ही होगा वह इसलिए क्योंकि एके-47 बाकी सभी राइफ्ल्स में से सबसे प्रसिद्ध राइफल है।

सबसे अलग और इसके फेमस होने की वजह तो वैसे कई हैं, लेकिन इसकी जो सबसे खास वजह है, वो ये है कि ये राइफल हाथ से बनाई जाती है।

वैसे आपको बता दें कि इस राइफल का विकास सोवियत संघ के मिखाइल कलाशनिकोव ने किया था। इस वजह से एके-47 को कलाशनिकोव राइफल भी कहते हैं।

ये शख्स मशीन नहीं सिर्फ हाथ से बनाता था AK-47

आपको बता दें कि पहली जो एके-47 राइफल तैयार हुई थी वह 1947 में हुई थी। जब द्वितीय विश्व युद्ध हो रहा था।

उस समय के टैंक कमांडर जिनका नाम मिखेल कलाशनिकोव था, कंधे में चोट की वजह से अस्पताल में भर्ती हुआ। जहां उसने उन सैनिकों की कहानी सुनी जो सेवियत राइफल्स की वजह से घायल हुए थे।

उस मुलाकात के उन्होंने सोचा क्यों न वो एक ऐसा हथियार बनाएं, जिसे चलाने में आसानी हो। इसलिए उन्होंने और हथियार डिजाइनर के रूप में अपना करियर शुरू किया।

कलाशनिकोव की 5 साल की कड़ी मेहनत के बाद उन्होंने फाइनली एक राइफल तैयारी की। जिसे हम एके-47 राइफल कहते हैं। राइफल बनने के तकरीबन एक साल बाद इस राइफल को 1948 में सोवियत आर्मी में शामिल किया गया।

जिसके बाद यह राइफल पूरी दुनिया में हिट हो गई। अब इस राइफल का इस्तेमाल हर देश में किया जाता है। लगभग 10 करोड़ राइफल अब तक बिक चुकी हैं।

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ऐसा कहा जाता है कि जितनी मौतें आजतक हवाई हमलों या फिर रॉकेट से नहीं हुई उससे ज्यादा मौत एके-47 राइफल से हुई हैं। लगभग हर साल एके-47 से 2.5 लाख लोगों को गोली मारी जाती है।

एके-47 की खास बात ये है कि ये राइफल 800 मीटर की दूरी तक एकदम सटीक निशाना लगा सकती है। यही नहीं यह दीवार के पीछे और कार के अंदर बैठे लोगों को भी मार सकती है।

दुनिया में 106 देशों की मिलिट्री और उनकी फोर्सेज एके-47 का इस्तेमाल करती हैं।

इसका मेन हेडक्वार्टर इजेव्स्क यानि रूस में है साथ ही कई जगह इसकी फैक्ट्रियां है। लेकिन यह राइफल मशीनों से नहीं बल्कि हाथों से बनाई जाती है।

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