मिलिए यूपी की बसंती से, परिवार के लिए चलाती हैं तांगा

लखीमपुर खीरी। शोले फिल्म की बसंती आपको याद होगी। आज यूपी की बसंती से मिलिए। लखीमपुर की रहने वाली सबीना ‘शोले’ की बसंती से कम नहीं। सबीना के पास भी अपना तांगा है। बसंती जैसा आत्मविश्वास भी सबीना में भी दिखता है।

 यूपी की बसंती

यूपी की बसंती हैं सबीना

वह लखीमपुर जैसे पिछले इलाके में तांगा चलाती हैं। उनके तांगे पर ज्यादातर औरतों को जगह मिलती है। मर्दों का काम सबीना को करते हुए देखकर यहां के लोग गर्व महसूस करते हैं।

1975 में आई शोले फ़िल्म में बसंती अपनी मौसी के लिए तांगा चलाती थीं, तो यूपी की बसंती अपने पति के लिए यह काम करती हैं। यही काम उनके परिवार का पेट भरता है।

आठ साल पहले सबीना के पति एक हादसे के शिकार होकर विकलांग हो गए। बस फिर क्या था, पति के तांगे की डोर सबीना ने थाम ली और अपनी मजबूरी, बेबसी को उसने अपनी ताकत बना लिया।

सबीना बाकी मर्द तांगे वालों की तरह सुबह तैयार हो जाती है। घोड़े को खिला-पिलाकर तांगे में लगा देती है। इसके बाद पूरा दिन बेहद आत्मविश्वास के साथ उस राह पर निकल पडती है जो उसने खुद चुनी और बनाई है।

खीरी जिले के फूलबेहड़ गांव में रहने वाली सबीना गांव से लखीमपुर तक सवारियां ले जाती हैं। यहां तांगा चलाने वाले मर्द भी अब सबीना को स्वीकार चुके हैं।

LIVE TV