किसान के बेटे ने देसी तकनीक से बना डाली मसाज मशीन

युवा वैज्ञानिक आनंद पाडेयलखनऊ। शरीर की बीमारियां ठीक करने के लिए आपने एकयूपंचर चिकित्‍सा के बारे में तो सुना ही होगा। वह तकनीकि जिसे प्राचीन भारत में शरीर के विभिन्‍न हिस्‍सों के दर्द को ठीक करने के लिए प्रयोग किया जाता था। देश में अंग्रेजी चिकित्‍सा तकनीक के प्रवेश करने के बाद हमारी यह प्राचीन भारतीय चिकित्‍सा पद्धति कुछ अपने और कुछ परायों की लापरवाही से समय के गर्त में समा गयी लेकिन इसी तकनीकि का सहारा लेकर उत्‍तर प्रदेश के सुल्‍तानपुर जिले के एक किसान के बेटे ने एक नयी ब्‍लड सर्कूलेशन मसाजर प्‍लस नामक एक्‍यूपंचर मशीन का आविष्‍कार कर डाला। आविष्‍कार करने वाले उस गुदड़ी के लाल का नाम आनंद पाण्‍डेय है। युवा वैज्ञानिक आनंद पाडेय  इससे पहले भी कई वैज्ञानिक तकनी‍कों का आविष्‍कार कर चुके हैं और इसके लिए उत्‍तर प्रदेश सरकार ने उन्‍हे सम्‍मानित भी किया है।

अपने इस नए आविष्‍कार के बारे में आनंद बताते हैं‍ कि आज से लगभग चार माह पूर्व चीन की एक कंपनी ने राजधानी लखनऊ में एक सेमिनार आयोजित कर इस तरह की मशीन का प्रदर्शन किया था और उस कंपनी ने उसे चीनी तकनीकि से बनाई हुई दुनिया की सबसे सस्‍ती ब्‍लड सर्कूलेशन मसाजर मशीन होने का दावा किया था। आनंद कहते हैं कि उन्‍हे इस बात से बहुत तकलीफ हुई जब चीन की किसी कंपनी ने भारतीय तकनीक को शुद्ध चीनी तकनीक बता डाला और यहीं से इस मशीन के आविष्‍कार की कहानी शुरू हुई। आनंद ने तीन महीने के अथक परिश्रम के बाद अपने दो अन्‍य साथियों विजयपाल और विश्‍वजीत की मदद से प्राचीन भारत की इस चिकित्‍सा पद्धति को अपने आविष्‍कार के जरिए फिर से जीवंत कर दिया।

युवा वैज्ञानिक आनंद पाडेय ने भारतीय पद्धति से बनाई चिकित्‍सा मशीन

बतौर आनंद उनके पास पैसे नहीं थे लेकिन संकल्‍प दृढ़ था और इसी दृढ़ संकल्‍प के बल पर उन्‍होंने यह असंभव सा दिखने वाले कार्य को संभव कर दिखाया। वह कहते हैं कि जिस तकनीक को चीन ने अपनी तकनीक बताया वह हमारी प्राचीन भारतीय चिकित्‍सा पद्धति है और इसका ईजाद गौतम बुद्ध के समय हुआ था। उस समय शरीर के दर्द को ठीक करने और ब्‍लड सर्कूलेशन के नियंत्रण से दिल की बीमारियों जैसे हाई और लो ब्‍लड प्रेशर को ठीक करने के लिए इस पद्धति का प्रयोग किया जाता था।

मशीन के बारे में आनंद बताते हैं‍ कि इस मशीन को एक्‍यूपंचर और एक्‍यूप्रेशर तकनीकि से बनाया गया है। मशीन 110 किलोग्राम इंसान का भार सहन कर सकती है। वह कहते हैं कि इस मशीन के इस्‍तेमाल से शरीर के ब्‍लड सर्कूलेशन को नियंत्रण में रखा जा सकता है। यह मशीन सिर्फ शरीर को ही स्‍वास्थ्‍य नहीं बनाती बल्कि इसके प्रयोग के बाद इंसान का दिमाग भी स्‍वास्‍थ्‍य रहता है।

कैसे काम करती है मशीन

बतौर आनंद यह मशीन बाजारों में मिलने वाली अन्‍य ब्‍लड सर्कूलेशन मसाजर मशीनों की तरह ही दिखती है लेकिन यह भारतीय चिकित्‍सा तकनीकि से बनी हुई मशीन है। यह ठीक उसी तरह की मशीन है जैसे वजन बताने वाली मशीन होती है, जिस भी व्‍यक्ति को स्‍वास्‍थ्‍य लाभ लेना हो, उसे मशीन पर पैर रखकर थोड़ी देर के लिए उस पर खड़े होना पड़ता है। इसके बाद मशीन तलुओं में एक्‍यूपंचर तकनीक से ईलाज करती है। आनंद कहते हैं इसमें अन्‍य मशीनों की अपेक्षा यह खासियत है कि ब्‍लड प्रेशर को नियंत्रित करने में पूरी तरह सक्षम है। वह बताते हैं कि इस मशीन के इस्‍तेमाल से शरीर की कई जटिल बीमारियों का इलाज किया जा सकता है। अन्‍य मशीन की अपेक्षा इस मशीन का मूल्‍य भी कम है । आनंद कहते हैं बाजारों में यूरोप और चीन की मशीनों के दाम 40 से 45 हजार के लगभग है जबकि इस मशीन के बाजार में आने के बाद यह 20 से 25 हजार रुपए में उपलब्‍ध हो सकेगी।

इससे पूर्व भी कर चुके हैं कई तकनीके ईजाद

उत्‍तर प्रदेश के युवा वैज्ञानिक आनंद पाण्‍डेय इस मशीन से पहले रिमोट सिस्‍टम से घर के बिजली उपकरणों को चलाना, हवा से चलने वाली कार, ब्रेकर से बिजली उत्‍पादन समेत चार खोज कर चुके हैं। आनंद कहते हैं कि उन्‍हे सरकार से अगर आर्थिक सहायता मिले तो वह भारतीय पद्धति से कई अन्‍य जनोपयोगी आविष्‍कार करने के इच्‍छुक हैं।

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