यही है वो जगह जहाँ मिलती है प्राणदायनी संजीवनी, लेकिन इसमें छिपे हैं कई और राज…

उत्तराखंड के चमोली राज्य में स्थित “वैली ऑफ फ्लॉवर्स” एक मशहूर पर्यटन स्थल है। साल 1982 में यूनेस्को द्वारा इसे राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया गया है। यह जगह 500 से भी अधिक फूलों की प्रजातियों से सजी हुई है।

अजब गजब

ऐसा कहा जाता है कि रामायण काल में हनुमान जी संजीवनी बूटी की खोज में यहीं आए थे। जुलाई, अगस्त व सितंबर का महीना यहां आने के लिए परफेक्ट है। अब आप भी यहां आकर सुकून के चंद पल गुजार सकते हैं।

यहां का नजारा देखकर अपनी आंखों पर यकीन कर पाना कभी कभी मुमकिन नहीं हो पाता है।

स्वर्ग से कम सुंदर नहीं है यह जगह। समुद्र तल से 3962 मीटर की ऊंचाई पर और 87.5 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल में फैली यह घाटी प्रकृति का एक अनमोल तोहफा है।

कुंभ के सफल आयोजन के लिए PM मोदी ने जताया UP का आभार, सफाई कर्मचारी फंड में दान किये 21 लाख….

इस घाटी का पता सबसे पहले साल 1931 में ब्रिटिश पर्वतारोही फ्रैंक एस. स्मिथ और उनके साथी आरएल होल्डसवर्थ ने लगाया था।

साल 1937 में स्मिथ दोबारा यहां और यहां की सुंदरता से प्रभावित होकर साल 1938 में ‘वैली ऑफ फ्लॉवर्स’ नाम से एक किताब प्रकाशित करवाई।

LIVE TV