
नई दिल्ली। नोटबंदी के मुद्दे पर विरोधी दलों से लोहा ले रही मोदी सरकार अब घिरती दिख रही है। खबर है कि ‘कालेधन’ की चपेट में पीएम नरेंद्र मोदी के तीन बड़े मंत्री अरुण जेटली, नितिन गडकरी और मनोहर पर्रिकर आ गए हैं। विरोधी दलों को सरकार के खिलाफ नया मुद्दा मिल गया है।
दरअसल, कॉमनवेल्थ ह्मूमन राइट्स इनीशियेटिव संस्था ने मोदी सरकार के 40 मंत्रियों की सम्पत्ति का ब्योरा पेश किया है। सम्पत्ति का यह ब्योरा नोटबंदी के कुछ महीने पहले का है। इन मंत्रियों के पास भारी मात्रा में कैश था। संस्था का यह दावा उस जानकारी पर आधारित है, जिसमें सभी मंत्री प्रधानमंत्री कार्यालय तक सालाना अपनी सम्पत्ति का ब्योरा भेजते हैं।
मंत्रियों के लिए बनी नियमावली के मुताबिक, उन्हें अपनी नकदी, जायदाद का सालाना ब्योरा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यालय को भेजना होता है। हालांकि सरकार के 76 मंत्रियों को यह ब्योरा देना था, लेकिन सिर्फ 40 ने ही अपनी सम्पत्ति का खुलासा किया।
इन 40 मंत्रियों की लिस्ट में सबसे ऊपर वित्त मंत्री अरुण जेटली का नाम है। उनके पास 65 लाख रुपए से ज्यादा की नकदी थी। वहीं राज्य मंत्री श्री प्रसाद येसो नायक (22 लाख रुपए नकद) और हंसराज अहीर (10 लाख रुपए) दूसरे और तीसरे नंबर पर थे। यह रिपोर्ट 31 मार्च 2016 तक की है।
अंग्रेजी अखबार द हिंदू के मुताबिक, सरकार के 15 मंत्रियों के पास ढाई लाख रुपए थे। 23 मंत्रियों के पास दो लाख से कम नकदी थी। वहीं रक्षामंत्री मनोहर पर्रिकर, परिवहन मंत्री नितिन गडकरी और जलमंत्री उमा भारती ने अपनी सम्पत्ति का ब्योरा ही नहीं सौंपा था।
इसी बात को आधार बनाकर अब कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी दलों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साध लिया है। कांग्रेस का कहना है कि मोदी के मंत्रियों की आठ नवंबर के पहले की ये सम्पत्ति कालाधन ही है।
बीते दिनों नोटबंदी के फैसले के बाद पीएम मोदी ने अपने सभी सांसदों और विधायकों को 8 नवंबर से 31 दिसंबर तक का सम्पत्ति का ब्योरा मांगा था। यह ब्योरा एक जनवरी तक जमा करवाना है।
इसी बात को आधार बनाते हुए विपक्षी दल कह रहे हैं कि प्रधानमंत्री मोदी के मंत्रियों ने सारी सम्पत्ति 8 नवंबर के पहले ही जमीन खरीदकर खपा ली। अब ये रिपोर्ट विरोधी दलों की बात को मजबूत करने में मदद कर रही है।