मोदी को इस गाँव ने दी चेतावनी, 50 दिन हैं साथ, फिर खुद बिगाड़ेंगे बात

मोदीकुशीनगर। केंद्र सरकार ने नोटबंदी के बाद से बैंकों और एटीएम से रुपए निकालने की भी एक सीमा तय कर दी गई थी। ऐसे में लोगों को कैश के लिए तंगी हो गई। बैंकों के बाहर काफी लंबी लाइन देखने को मिल रही हैं। गुरुवार को नोटबंदी के फैसले को एक महीना हो गया। इस फैसले की वजह से लोगों की जिंदगी कैसे चल रही है, इसकी पड़ताल के लिए एक अखबार यूपी-बिहार की सीमा पर स्थित एक गांव पहुंचा। वहां पहुंचकर पीएम मोदी के इस फैसले को लेकर गांववालों की राय जानी गई।

गांव में गुरुवार को होने जा रही शादी का बजट कम किया गया है और सारी तैयारी उधार के रुपयों से हुई है। किसान के पास बुआई के लिए पैसे नहीं है। विदेश में काम करने वाले एक बेटे की मां एक सप्ताह से अपने बैंक से पैसे नहीं निकाल पा रही है।

इतनी तकलीफों के बावजूद इस गांव के लोगों ने केंद्र सरकार को 20 और दिन देने का फैसला किया है। उनका कहना है कि कुशीनगर में 27 नवंबर को हुई पीएम मोदी की रैली की वजह से वे 20 दिन और देने के लिए तैयार हुए हैं।

गोरखपुर में एक कंस्ट्रक्शन साइट पर मजदूरी करने वाले सुमेश कुशवाहा ने कहा, ‘हम लोग नोटबंदी के बाद से परेशान हो रहे थे, लेकिन जब सुना की मोदी जी कुशीनगर आ रहे हैं, तो हम लोग वहां गए और उन्होंने जो कहा वह सुना। उन्होंने हाथ जोड़कर पचास दिन का समय मांगा। उन्होंने कहा कि यह देश के लिए अच्छा है। हम लोगों ने उन्हें वह समय देने का फैसला किया।’

लांगरा गांव के प्रधान धनश्याम घोंड का कहना है कि उसके गांव से रैली में तीन बसें गई थीं। आठ नवंबर से जब से सरकार ने नोटबंदी की घोषणा की थी लोग काफी चिंता में थे। नियम बदल रहे थे और बैंकों के बाहर लाइनें बढ़ रही थीं। हर कोई प्रधानमंत्री से सुनना चाहता था। कुछ लोग संतुष्ट होकर लौटे तो वहीं कुछ उलझन में ही रहे।’

डेढ़ हजार की जनसंख्या वाले लांगरा गांव यूपी-बिहार सीमा पर आखिरी गांव है। कुछ लोग देवरिया में काम करते हैं, खेती में कोई फायदा नहीं होने की वजह से गांव के बाकी लोग देश-विदेश में काम कर रहे हैं। मैना देवी का कहना है, ‘मेरे बेटा संजय दोहा में काम करता है। वह पहले गोरखपुर में एक कंस्ट्रक्शन साइट पर काम करता था, लेकिन बाद में वह नौकरी के लिए कतर चला गया। वह यहां जितना कमाता था, उससे तीन गुना ज्यादा वहां कमाता है। वह हर महीने 30 हजार रुपए भेजता है। लेकिन इस महीने मैं बैंक से किसी भी तरह का कैश नहीं निकाल पाई।’

नजदीकी ब्रांच स्थानीय ग्रामीण बैंक की है, जो कि प्रति ग्राहक एक हजार रुपए से ज्यादा कैश नहीं दे रहा है। इसलिए गांव के लोग 15 किलोमीटर दूर देवरिया में पंजाब नेशनल बैंक की ब्रांच पर निर्भर हैं।

मोती चौरसिया का कहना है, ‘दोनों तरफ का ऑटो रिक्शा से किराया 30 रुपए है। कई दिन तो हम लोग खाली हाथ वापस लौटे हैं। गुरुवार को मेरी बेटी की शादी है। हमें पड़ोसियों और रिश्देतारों से पैसे उधार लेने पड़े। हम दूल्हे के परिवार को और ज्यादा गिफ्ट देना चाहते हैं, लेकिन हम केवल एक अलमारी ही ले पाए।’ प्रधान के मुताबिक आठ नवंबर के बाद से गांव में छह शादियां थीं। उन्होंने कहा, ‘हर शादी में खर्च को कम किया गया। कोई कैसे 5000 या 10000 में शादी का खर्च उठा सकता है। गांव में भी शादी के लिए कम से कम 60000 रुपए चाहिए होते हैं। लोग गुस्से में हैं।’

मैना देवी अकेली रहती हैं और वे गांव में सब्जी की दुकान से उधार में सामान खरीद रही हैं। उनका कहना है, ‘हम लोग यहां एक दूसरे को जानते हैं। लेकिन मुझे नहीं पता कि यह कितने दिन चलेगा। दुकान वाले को भी सामान खरीदने के लिए पैसे चाहिए।’

गांव के ही 19 वर्षीय कृष्णा का कहना है, ‘यह देश में कालेधन और भ्रष्टाचार के खिलाफ अब तक का सबसे बड़ा कदम है। इस कदम के लिए हम सब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ हैं। इसके प्रभाव दिखने लगे हैं। मैं यहां रहता हूं, लेकिन काम गोरखपुर में रहता है। गोरखपुर इलाके का सबसे महंगा शहर है। मैं वहां पर कुछ ऑडीज और मर्सिडीज कारें देखता था, लेकिन आठ नवंबर के बाद से वे सड़कों पर नजर नहीं आतीं। वे अब सरकार से डरने लगे हैं।’

रामपुर कारखाना विधानसभा सीट से बसपा उम्मीदवार गिरिजेश शाही का कहना है, ‘यहां तक की मैं भी मानता हूं कि केंद्र सरकार का कालेधन के खिलाफ यह कदम अच्छा है। मैंने इस कदम की तारीफ की है। लेकिन पिछले कुछ दिनों से मुझे लगता है कि कुछ गलत हुआ है। मेरे दफ्तर मदद मांगने वाले लोगों की संख्या में इजाफा हुआ है। शाही के पास जाने वाले राम गति कुशवाह ने बताया, ‘मेरे पास तीन बीघा जमीन है और मैं संघर्ष कर रहा हूं। मेरे पास अगले सीजन के लिए बुआई करने के लिए पैसा नहीं है। बीज के लिए तो मैं उधार ले सकता हूं, लेकिन खाद और मजदूरों के लिए कहां से पैसे लाऊंगा। यह संभव नहीं है।’

वहीं, कुशीनगर में पीएम मोदी की रैली में शामिल होने वाले संजय कुशवाहा का कहना है, ‘यह अगर 30 दिसंबर तक सब सही हो जता है, जो कि मोदीजी ने 50 दिनों का टारगेट तय किया है। मैं भरोसा दिलाता हूं कि भाजपा यूपी में भी सरकार बनाने जा रही है। लेकिन अगर नहीं होता है तो लोगों के गुस्से की वजह से उन्हें एक वोट भी नहीं मिलेगा।’

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