मोदी की फैन बन सकती है अमेरिका की राष्ट्रपति, दुनियाभर में होगा भारत का जलवा

न्यूयॉर्क: अमेरिका में 2020 में राष्ट्रपति चुनाव में हिंदू सांसद तुलसी गबार्ड अपनी किस्मत आजमाने जा रही हैं. अमेरिका की पहली हिंदू सांसद गबार्ड (37) ने शुक्रवार को ऐलान किया कि वो अगले साल होने जा रहा राष्ट्रपति चुनाव लड़ेंगी. कई न्यूज रिपोर्टों के मुताबिक भारतीय मूल की अमेरिकी कमला हैरिस (54) भी अगले सप्ताह डेमोक्रेटिक पार्टी की ओर से अपना उम्मीदवारी का ऐलान कर सकती हैं. गीता पर हाथ रखकर शपथ लेने वाली गबार्ड भारत-अमेरिका रिश्तों और पीएम नरेंद्र मोदी की समर्थक मानी जाती हैं.

गबर्ड भारतीय मूल की नहीं हैं बल्कि वो हिंदू परिवार से भी ताल्लुक रखती हैं. उन्होंने हवाई से सीनेटर पद पर काबिज होने के बाद भगवद गीता पर हाथ रखकर शपथ ली थी. वो पहली बार 2011 में प्रतिनिधि सभा में चुनी गई थीं. गबार्ड ने सीएनएन को साक्षात्कार में बताया, “मैं राष्ट्रपति चुनाव लड़ने का फैसला किया है और मैं अगले सप्ताह इस बारे में औपचारिक ऐलान करूंगी.”

उन्होंने इससे जुड़ा एक ट्वीट किया. इसमें उन्होंने लिखा, “जब हम एक-दूसरे के लिए और हमारे देश के लिए हमारे प्यार से एकजुट होकर एक साथ खड़े होते हैं,  तो कोई चुनौती नहीं रहती है जिसे हम दूर नहीं कर सकते. आप मेरा साथ देंगे?” इसके साथ उन्होंने #TULSI2020 का भी इस्तेमाल किया है.

ऐसी अटकलें भी हैं कि संयुक्त राष्ट्र में अमेरिकी स्थाई प्रतिनिधि का पद छोड़ चुकी निकी हेली भी रिपब्लिकन पार्टी की ओर से इस दौड़ में शामिल होने की मंशा रखती हैं. डोनाल्ड ट्रंप ने अगले साल राष्ट्रपति चुनाव में दोबारा इस पद पर चुनाव लड़ने की कोई मंशा जाहिर नहीं की है. निकी हेली अमेरिकी कैबिनेट में शामिल होने वाली भारतीय मूल की पहली अमेरिकी नागरिक हैं.

गबार्ड ने कहा, “यह फैसला करने के मेरे पास कई कारण हैं. अमेरिकी लोगों के सामने मौजूदा समय में कई चुनौतियां हैं और मैं इसे लेकर फ्रिकमंद हूं और मैं इसका समाधान करने में मदद करना चाहती हूं.” उन्होंने आगे कहा, “मुख्य मुद्दा युद्ध और शांति का है. मैं इस पर काम करने को लेकर आशान्वित हूं और गहराई में जाकर इस पर बात करुंगी.” राजनीति में आने से पहले गबार्ड अमेरिकी सेना की ओर से 12 महीने के लिए इराक में तैनात रह चुकी हैं.

सैन्य पृष्ठभूमि होने के बावजूद गबार्ड ने सीरिया में अमेरिका की दखल का विरोध किया है. सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल असद से उनकी मुलाकात को लेकर उन्हें खासी आलोचना भी सहनी पड़ी. गबार्ड भारत-अमेरिका संबंधों की समर्थक रही हैं. वो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भी समर्थक हैं. उन्होंने पाकिस्तान को अमेरिका की आर्थिक मदद में कटौती की वकालत भी की थी

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