मैनपुरी में आज महागठबंधन की साझा रैली में मायावती और मुलायम एक साथ , पढ़े खबर

नई दिल्ली : यूपी की राजनीति में एक दूसरे के धुर विरोधी रहे मायावती और मुलायम आज वर्षों पहले की कड़वाहट भुलाकर एक साथ चुनावी मंच पर होंगे।वहीं सन्न 1995 के गेस्टहाउस कांड के 24 साल बाद दोनों नेता एक मंच पर जुट रहे हैं।

मुलायम

 

जहां मैनपुरी में शुक्रवार की होने वाली रैली पर सबकी निगाहें होंगी जब बसपा सुप्रीमो मायावती अपने पुराने विरोधी मुलायम सिंह के लिए वोट मांगेंगी। लेकिन इस रैली में लाखों की भीड़ जुटने की संभावना हैं।  तीसरे चरण में जिन सीटों पर वोटिंग होनी है उसमें एक सीट मैनपुरी है जहां 23 अप्रैल को वोटिंग हैं।

 

 

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बता दें की ओडिशा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हेलिकॉफ्टर की तलाशी लेने वाले आईएएस अधिकारी को निलंबित कर दिया गया था , जहां इस पर पूर्व चुनाव आयुक्त डॉ. एसवाई कुरैशी ने बड़ा बयान दिया है।  उन्होंने कहा कि अफसर के खिलाफ कार्रवाई दुर्भाग्यपूर्ण हैं। लेकिन हमने संवैधानिक संस्थाओं की छवि को सुधारने का मौका गंवा दिया हैं।

लेकिन मालेगांव धमाके की आरोपी साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर को भोपाल सीट से बीजेपी ने अपना प्रत्याशी बनाया है. इस ऐलान के बाद से ही साध्वी प्रज्ञा को चुनाव लड़ने से रोकने की कवायद शुरू हो गई है. सामाजिक कार्यकर्ता तहसीन पूनावाला के बाद अब मालेगांव धमाके के पीड़ित के पिता ने महाराष्ट्र के एनआईए कोर्ट में याचिका दायर करके साध्वी की जमानत पर सवाल उठाए हैं।

दरअसल लोकसभा चुनाव के तीसरे चरण में यूपी की 10 लोकसभा सीटों पर 23 अप्रैल को मतदान होना है. इस चरण में समाजवादी पार्टी के साथ-साथ मुलायम सिंह यादव और उनके कुनबे को सियासी इम्तिहान से गुजरना हैं। वहीं सूबे की जिन 10 लोकसभा सीटों पर चुनाव होने हैं, वहां गठबंधन के तहत 9 सीटों पर सपा मैदान में है और महज एक सीट पर बसपा चुनाव लड़ रही हैं। पूरी तरह से अखिलेश यादव बनाम नरेंद्र मोदी के बीच राजनीतिक लड़ाई लड़ी जा रही हैं

लेकिन लोकसभा चुनाव 2019 के लिए दूसरे चरण की वोटिंग गुरुवार को संपन्न हुई। देश के 12 राज्यों की 95 सीटों पर करीब 68 फीसदी लोगों ने मतदान किया. इन 95 सीटों पर 2014 में 65 फीसदी वोटिंग पड़ी थी।

वहीं पिछले लोकसभा चुनाव की तुलना में 3 फीसदी अधिक वोट पड़े हैं. जबकि 2009 के चुनाव में 62.49 फीसदी वोट पड़े थे। दो चरण के मतदान पूरा होने का बाद राजनीतिक दल अपने-अपने नफा और नुकसान के आकलन में जुटे हैं कि सियासी हवा किस के पक्ष में बह रही है. वोटिंग के ये आकंड़े विपक्ष के समीकरण को बिगाड़ेंगे या फिर मोदी के लिए मुसीबत का सबब बनेंगे।

 

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