दुनिया से खत्म होगा मेड इन चाइना का टैग, ड्रैगन की बर्बादी के लिए भारत-अमेरिका आए साथ

मेड इन चाइनापेइचिंग अब ज्यादा दिन वैश्विक बाजार पर मेड इन चाइना का ठप्पा नहीं रह पायेगा। वैश्वक स्तर पर बढ़ती प्रतिस्पर्धा के बीच ग्लोबल मार्केट में भारत के बढ़ते प्रभाव का विश्व के सभी देश लोहा मान रहे हैं वहीं चीन भी भारत के वैश्वक मार्केट में बढ़ते दबदबे से घबराया हुआ है। अंतर्राष्ट्रिय बाजार में नंबर वन पर काबिज चीन को अपने सिंहासन पर खतरा मंडराता नजर आ रहा है। अनेक मल्टिनैशनल फर्म्स की पहली पसंद के रूप में भारत सबसे सुगम डेस्टिनेशन बनता जा रहा है।

मेड इन चाइना

भारत के बढ़ते प्रभाव से हैरान चीनी मीडिया ने अपनी सरकार को मैन्युफैक्चरिंग बढ़ाने पर ध्यान देने की सलाह दी है। एक ओर जहां अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डॉनाल्ड ट्रंप ने चीन की मुसीबतें बढ़ा रखी हैं। वहीं दूसरी तरफ उसको भारत की ओर से भी कड़ी चुनौती मिल रही है।

ट्रंप ने अमेरिकी जनता से देश में मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को वापस लाने का वादा दोहराया है। मोबाइल फोन निर्माता कंपनी ऐपल जल्द ही भारत में आईफोन की प्रॉडक्शन यूनिट भी खोलने वाली है।

चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने अपने एक लेख प्रकाशित कर बताया कि दक्षिण एशियाई देशों में ऐप्पल मोबाइल फोन के संभावित सप्लाई चेन के आने से चीन पर खासा प्रेशर पड़ेगा। ऐसे में यह देखने लायक होगा कि मैन्युफैक्चरिंग पावरहाउस के तौर भारत मौजूदा चीन की जगह ले पाएगा या नहीं। लेकिन जैसी स्थिति तैयार हो रही है उससे यह तो यही लग रहा है कि चीन को मैन्युफैक्चरिंग इंडस्ट्री को बढ़ाने के लिए हर संभव प्रयास करने होंगे।

पत्रिका ने कहा, ‘ऐपल अगर भारत में अपना विस्तार कर लेता है तो अन्य बड़ी ग्लोबल कंपनियां भी ऐसा करेंगी। भारत, लेबर फोर्स की बड़ी संख्या और सस्ती उपलब्धता में ही चीन को पीछे छोड़ देता है। चीन अभी अपना ताज गंवाने की स्थिति में नहीं है और इसके लिए यहां पर मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को मजबूत करने की सख्त जरूरत है। ‘

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