मेडिकल कॉलेज की मान्यता संकट में, डॉक्टर चले निजी अस्पतालों की ओर
देहरादून: मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में डॉक्टर और फैकल्टी की कमी पर एमसीआई ने आंखे दिखाई हैं। एमसीआई ने कॉलेज को सभी चीजें दुरुस्त करने के लिए एक माह का समय दिया है। अगर एमसीआई की गाइडलाइन के अनुसार फैकल्टी नहीं जुटाई गई तो दूसरे साल की एलओपी मुश्किल में पड़ सकती है। राजकीय दून मेडिकल कॉलेज में दूसरे साल का बैच शुरू करने के लिए एमसीआई से एलओपी (लेटर ऑफ परमिशन) के लिए आवेदन किया गया था। लेकिन आवेदन करते ही एमसीआई ने भी कॉलेज प्रशासन को हकीकत से मुखातिब करा दिया।
एमसीआई से आये पत्र के अनुसार, कॉलेज के पास 40 फीसदी एसोसिएट और असिस्टेंट प्रोफेसर नहीं हैं। ये ही एसोसिएट और असिस्टेंट प्रोफेसर दून अस्पताल में विशेषज्ञ डाक्टर भी होते हैं। वहीं जेआर और एसआर के बीस फीसदी पद खाली हैं। एमसीआई का कहना है कि इतनी कमी होने के बावजूद हम दूसरे साल की एलओपी नहीं दे सकते। हालांकि, एमसीआई ने कॉलेज प्रशासन को एक माह का समय दिया है। इस एक महीने में कॉलेज को फैकल्टी को कम से कम 20 फीसदी भरना होगा।
हालांकि एमसीआई को बता दिया गया है कि राज्य में विधानसभा चुनाव के चलते आचार संहिता लागू है। इसलिए चुनाव बाद ही नियुक्ति के लिए विज्ञापन निकाला जाएगा।
मेडिकल कॉलेज की मान्यता संकट में, डाक्टरों ने नौकरी छोड़ी
राजकीय मेडिकल कॉलेज के एसोसिएट प्रोफेसर, असिस्टेंट प्रोफेसर, एसआर और जेआर को तीन माह से वेतन नहीं मिला है। उससे पहले भी तीन तीन माह रोककर वेतन दिया जाता है। ऐसे में, कौन डाक्टर दून अस्पताल के साथ जुड़ना चाहेगा। पिछले साल भी कई डाक्टरों ने नौकरी छोड़कर निजी अस्पतालों का रुख महज इसलिए किया था कि दून में वेतन समय पर नहीं मिलता।