मोदी के मेक इन इंडिया को करार झटका, जनरल मोटर्स के बाद चार कंपनियां करेंगी ‘घर वापसी’

मेक इन इंडिया को झटकानई दिल्ली। भारतीय बाजार में लगभग 17 कार निर्माता कंपनियां हैं और इनमें से टॉप चार कंपनियों का बाजार पर 75% से अधिक नियंत्रण है। ऐसे में आजकल जानकारों को चिंता हो रही है कि कही जनरल मोटर्स के बाद कुछ और कंपनियां भारत से अपना-अपना काम-काज न समेट लें। क्योंकि अगर ऐसा हुआ तो भारतीय बाजार को भारी नुकसान सहना पड़ सकता है। तो आइए जानते हैं कुछ ऐसी ही कार कंपनियों का हाल, जिन्हें भारत में कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है…

मेक इन इंडिया को झटका

फिएट :- भारत में फिएट की मौजूदगी सुजुकी से भी पहले से है, लेकिन 2016-17 में कुल 5,665 कारों की बिक्री के साथ कंपनी महज 0.0018% मार्केट शेयर ही हासील कर पाई। प्रीमियर ऑटोमोबिल्स के साथ पार्टनरशिप में लंबे समय तक संचालन के बाद फिएट ने 1997 में टाटा मोटर्स के साथ 50:50 की हिस्सेदारी से जॉइंट वेंचर बना लिया।

फोक्सवैगन :- फोक्सवैगन इंडिया के ढेरों सेल्स डिविजन के सीनियर अफसर कंपनी को एक के बाद एक अलविदा कह रहे हैं। ख़बरों के मुताबिक सेल्स हेड, कॉर्पोरेट सेल्स के नैशनल हेड और साउथ सेल्स मैनजर ने भी कंपनी छोड़ दी है।

स्कोडा :- फोक्सवैगन ग्रुप की कंपनी स्कोडा भी भारत में बहुत कठिनाई का सामना करती दिख रही है। कंपनी के इंडिया एमडी सुधीर राव ने हाल ही में रिजाइन दे दिया है।

फोर्ड :- फोर्ड को भी तरह-तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। 2014 में कंपनी के ग्लोबल सीईओ बने मार्क फील्ड्स को हाल ही में हटा दिया गया है। इसकी दो बड़ी वजहें कंपनी के शेयरों का अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाना और मूल व्यवसाय का विस्तार करने में अक्षमता रहीं हैं।

उल्लेखनीय है की अमेरिका की जानी-मानी वाहन निर्माता कंपनी जनरल मोटर्स ने भी भारत में दो दशकों तक व्यापार करने के बाद पिछले महीने यहां से निकलने का ऐलान किया था।

कंपनी के अधिकारीयों ने कहा था कि कंपनी भारत में कारें बेचना बंद कर देगी और पुणे के तालेगांव स्थित उसके प्लांट से निर्यात के मकसद से ही उत्पादन करेगी। इसके साथ ही, वह गुजरात के हलोल स्थित अपने संयंत्र को बंद कर देगी।

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